अपर्णा बिडसारिया ने कैनवास पर ‘बरगद’ के रहस्य को उकेरा

अपर्णा बिडसारियानई दिल्ली। बरगद के वृक्ष ने सदियों से कहानीकारों, दार्शनिकों और आध्यात्मिकवादियों को मोहित किया है। बरगद का वृक्ष एक योगी की तरह वर्षो तक समय के थपेड़ों का सामना करते हुए बिल्कुल शांत तरीके से खड़ा रहता है। एक तरफ इसकी शाखाएं आकाश को चूमने की कोशिश करती नजर आती है तो दूसरी तरफ शाखाओं से लटकती जड़ें धरती के आगोश में समाने को आतुर प्रतीत होती हैं। बरगद का वृक्ष आकाश और जमीन के बीच आकाशीय संतुलन बनाए रखता है।

बरगद के वृक्ष की स्थायी रहस्यात्मकता और महिमा ने अब एक भारतीय कलाकार को कई आकर्षक चित्र बनाने के लिए प्रेरित किया है।

इंदौर की कलाकार अपर्णा बिडसारिया के चित्रों को श्रीधरानी आर्ट गैलरी, त्रिवेणी कला संगम, दिल्ली में ‘टाइम एंड बीइंग’ नामक प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा। इन चित्रों में रोशनी के विभिन्न प्रतिबिंबों में मौसम के दौरान शानदार दिखने वाले पेड़ को प्रदर्शित किया गया है।

विख्यात विद्वान और आलोचक उमा नायर द्वारा क्यूरेट की गई, 10 दिवसीय प्रदर्शनी, 17 अप्रैल से शुरू होगी, जिसमें श्याम-श्वेत, रंगीन और प्रभावी विविध रंगों में कुल 30 चित्रकारी की गई है।

अपर्णा कहती हैं, “बरगद के पेड़ ने मुझे बचपन से मोहित किया है। इसके चिरस्थायी आकर्षण को मैंने अपनी कलात्मक संवदेनशीलता और कला में समाहित किया है।” अपर्णा वृक्ष की छाया की शीतलता और आनंद के साथ-साथ इसके घने पत्तों से छन कर आने वाली धूप की तीव्रता को दर्शाने के लिए मिट्टी, लकड़ी के कोयले, पेस्टल कलर, स्याही और ऐक्रेलिक रंगों का इस्तेमाल करती हैं।

इंदौर में एक स्टूडियो से काम करने वाली कलाकार अपर्णा कहती हैं, “मेरे लिए बरगद जीवन और समय के नृत्य का प्रतीक है। वृक्ष प्रकृति की महिमा और शक्ति को व्यक्त करते हुए लंबे समय में कई एकड़ क्षेत्र में फैलता है। फिर भी, इसमें नम्रता होती है। इसका खूबसूरत फैलाव आपको इसकी जड़ों पर स्विंग करने के लिए, इसकी छाया में आराम करने के लिए और इसके पत्तों की ठंडी हवा का आनंद लेने के लिए आमंत्रित करता है।”

प्रदर्शनी की विशिष्टता इस तथ्य में निहित है कि प्रदर्शनी में प्रदर्शित सभी चित्र एक अकेली वस्तु (बरगद) पर आधारित हैं, क्यूरेटर जिसका वर्णन ‘बरगद के पेड़ पर ध्यान’ के रूप में करता है।

अपर्णा कहती हैं, “इस वृक्ष को लेकर कई और कहानियां हैं और अपने रंगों के माध्यम से मैं उसके जादू को पकड़ने की कोशिश करती हूं।” इससे पहले अपर्णा की कृतियांे का प्रदर्शन एआईएफएसीएस, दिल्ली, भारत कला महोत्सव, मुंबई, भारत भवन, भोपाल और प्रीतम लाल दुआ गैलरी, इंदौर में किया गया है। उनकी दिलचस्पी भारत और विदेशों में कला संप्रदाय के निजी संग्रह को सजाने में है।

क्यूरेटर उमा नायर कहती हैं कि ऐसे कलाकार को ढूंढना असामान्य है, जो बरगद के पेड़ को प्रकाश के विभिन्न प्रतिबिंबों में चित्रित करने के लिए दिनों और महीनों तक का समय बिता देते हैं।

उन्होंने कहा, “अपर्णा अनिवार्य स्थिरता, सामंजस्य और संतुलन के साथ चित्र की कल्पना करती हैं। यह उनमें भारतीय विचारों के लिए उनके प्रारंभिक आकर्षण को भी दर्शाता है, जिसमें बरगद को पवित्र और अपवित्र दोनों माना जाता है। शरदकालीन स्वर्ण से गेरू और अंबर के लिए, उन्होंने नारंगी और पीले रंग के गर्म, उज्‍जवल रंगों का उपयोग किया है जो उनके पहले के प्रयोगों के एक उत्पाद के रूप में प्रकट होता है, जिसे अमूर्त अभिव्यक्तिवाद और अतिसूक्ष्मवाद के रूप में चिह्न्ति किया गया है।” विशेष रूप से, हाथी दांत और अंबर श्रृंखला इन चित्रों में सबसे उत्कृष्ट हैं। इसलिए यह श्रृंखला ‘कंटैप्लेटिव क्विट्यूड’ में है।

उमा नायर कहती हैं, “शानदार बरगद अपर्णा के करियर का एक असाधारण परिष्कृत उदाहरण है और शैलियों, तकनीकों और विषयों में उनकी कलात्मक यात्रा की परिणति है। यह एक कलाकार होने के बारे में उनकी भावनाओं के लिए भी एक रूपक है, आध्यात्मिक अभिग्रहण के लिए उनकी आकांक्षाओं का प्रतीक है और साथ ही इसमें अलगाव और एकांत की भावना भी निहित है।”

यह प्रदर्शनी 26 अप्रैल को दिल्ली में संपन्न होगी। इसे पहली बार फरवरी में भोपाल में भारत भवन में प्रदर्शित किया गया था। इसे 14 अगस्त से मुंबई में जहांगीर कला वीथिका में थोड़े बदलाव के साथ प्रदर्शित किए जाने की योजना है।

 

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