अपने विलेन के किरदार से खलनायकी को तस्वीर देने वाले अमरीश पुरी के जन्मदिन पर जानिए उनसे जुड़ी खास बातें

बिना विलेन के बॉलीवुड अधूरा है और बिना अमरीश पुरी के ‘विलेन’ शब्द कभी पूरा नहीं हो सकता है. बॉलीवुड में हीरो बनने की चाह से आए अमरीश पुरी एक ऐसे विलेन बन गए जिनको आज भी कोई टक्कर देने वाला नहीं है. आज ही के दिन 1932 को अमरीश पुरी का जन्म हुआ था और 12 जनवरी 2005 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. आइए जानते है आज अमरीश पुरी से जुड़ी कुछ ख़ास बातें…

AMRISH PURI

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अमरीश पुरी द्वाराअपनी शुरुआती पढ़ाई पंजाब से की और फिर उसके बाद वह शिमला चले गए थे. शिमला के बी एम कॉलेज(B.M. College) से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा था.

 

फ़िल्मी करियर…

 

अमरीश पुरी द्वारा 1960 के दशक में रंगमंच की दुनिया से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की गई और उन्होंने सत्यदेव दुबे और गिरीश कर्नाड के लिखे नाटकों में प्रस्तुतियां भी दीं. वहीं रंगमंच पर बेहतर प्रस्तुति के लिए उन्हें 1979 में संगीत नाटक अकादमी की तरफ से पुरस्कार मिला था, जो उनके अभिनय कॅरियर का पहला बड़ा पुरस्कार भी था. बॉलीवुड में 1971 की ‘प्रेम पुजारी’ फिल्म से उन्होंने कदम रखा. पुरी को हिंदी सिनेमा में स्थापित होने में थोड़ा वक्त जरूर लगा, हालांकि फिर कामयाबी उनके कदम चूमती रही और बॉलीवुड को एक ऐसा विलेन मिला जो ना पहले कभी देखा गया और ना ही अब तक देखने को मिला है. 1987 में शेखर कपूर की फिल्म ‘मिस्टर इंडिया में मोगैंबो की भूमिका से हर ओर वे छा गए. 1990 के दशक में उन्होंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे ‘घायल’ और ‘विरासत’ में अपनी सकारात्मक भूमिका से भी अपने फैन सको एक नया तोहफा दिया.

 

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