अपने तन, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करें

पहला कदम है सुदर्शन क्रिया सीखना, जो कि एक शक्तिशाली तकनीक है।  हमारे शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने की और इन सबको सामंजस्य में लाने की।  यह हमें अपने संचित तनाव को प्राकृतिक और प्रभावपूर्ण रूप से निस्तार करने की क्षमता देती है।

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मौन का अभ्यास – मानसिक और अध्यात्मिक नवीनीकरण के लिए अपनी उर्जा और ध्यान को बाहरी विकर्षण से जान बूझ कर हटाने के मार्ग का प्रयोग अलग अलग परम्पराओं में सभी कालों में हुआ है। अपने सामान्यतः सक्रिय मन को उसके परे ले जाने के लिए विशेष रूप से बनायीं गयी विभिन्य प्रक्रियाओं में भाग लेने से हमें असाधारण शांति और नवीन जीवन शक्ति का अनुभव होता है जो हमारे नित्य प्रतिदिन के जीवन का हिस्सा बनता है।

अपने अस्तित्व की गहराईयों का अन्वेषण करें

ध्यान में गहराई अनुभव करने के लिए एक परिमित शिक्षक से मंत्र प्राप्त करना अति महत्वपूर्ण है। सहज समाधि ध्यान में एक सरल ध्वनि का मन में प्रयोग करना सिखाया जाता है जो मन व आत्मा को शांत करता है और अपने भीतर जाने देता है। जब मन और तंत्रिका तंत्र को कुछ क्षण असीम मौन में विश्राम करने दिया जाता है, जो अवरोधक हमारे शरीर और हमारी प्रगति को रोके हुए होतेहैं, वे धीरे धीरे भंग हो जाते हैं। इस विधि का नियमित अभ्यास व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को पूर्णतः परिवर्तित कर सकता है, शरीर में पूरा दिन शान्ति, ऊर्जा और विस्तृत जागरूकता बनाने रखने के पालन के द्वारा

आशीर्वाद देनेऔर रोग हरने की शक्ति प्राप्त करें

आशीर्वाद कार्यक्रम बाहुल्य, संतोष और तृप्ति के गुणों को हमारे अनुभव के अग्र स्थान में ले आता है। तृप्ति हमारी चेतना का एक अति सुन्दर गुण है। यह व्यक्ति को आशीर्वाद देनेकी और रोग हरने की क्षमता देता है।

आशीर्वाद दे पाना एक पूर्ण अनुसरण है किसी की परवाह करने का और सहभाजन का, सेवा के लिए उपलब्ध रहने का, और जो आपकी सहायता चाहते हैं, उनके लिए शान्ति और समन्वय ला पाने का आप जो आशीर्वाद देते हैं वह एक व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन ला सकता है। बहुत से लोगों ने चमत्कारी अनुभवों का वर्णन किया है।

कृतज्ञता आध्यात्म केपथ पर खिली हुई एक चेतना की सबसेशुद्ध और शालीन अभिव्यक्ति है। गुरुपूजा हमारे गुरुओं की पावन परंपरा के प्रति हमारी कृतज्ञता अभिव्यक्त करना है, जिन्होंने इस अमूल्य ज्ञान को इतने वर्ष संजो के रखा है।

जब एक बूँद स्वयं को महासागर से जुड़ा हुआ महसूस करती है, तब वह उस महासागर की शक्ति का अनुभव करती है। उसी प्रकार, यदि हम गुरुओं की परम्पराओं से स्वयंको जुड़ा हुआ महसूस करते हैं, तो यह हमें अपार शक्ति देता है।

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