अगर घूमना चाहते हैं उत्तराखंड तो जरूर जाएं कुमाऊं, जानें इसे क्यों कहते हैं यूके की शान
डेस्क. Edited by [ शिवानी समदर्शी ]
सबसे पहले बात करते हैं कि कुमाऊं शब्द आया कहां से। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान विष्णु के कछुए के अवतार से ये नाम लिया गया है। ये कुरमांचल या कुर्मावतार की भूमि से संबंधित है। इसके क्षेत्र पर नज़र डालें तो ये गंगा के मैदानों के उत्तरी छोर तक फैला हुआ है और तिब्बत के रास्ते तक जाता है। कुमाऊं में बर्फ से ढकी पहाडियां, चमकते पानी की झीलें और कई तरह के वनस्पति और जीव देखने को मिलते हैं। कुमाऊं, उत्तर-भारतीय राज्य उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) में स्थित है, जो पूर्वी क्षेत्र में काली नदी से नेपाल से अलग होता है।
कुमाऊं का इतिहास-
.-काफी लंबे समय से कुमाऊं पर्यटकों से गुलज़ार है। इस स्थान पर पाषाण युग की बस्तियों के अस्तित्व का प्रमाण मिलता है लखु उद्यार पर पत्थर से बने आश्रय शामिल हैं। यहां पाई गई पेंटिंग देखकर आप खुद को मेसोलिथिक युग में महसूस करेंगे।
-यहां पर स्थित 900 साल से भी पुराना मंदिर है। इसे क्काशीदार दरवाजों और पैनलों को दिल्ली के संग्रहालय में स्थानांतरित किया जाना था? इस काम में पूरी एहतियात बरतनी थी क्योंकि 10वीं सदी के देवता की मूर्ति गायब हो गई थी।
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-जगेश्वर का शानदार मंदिर परिसर में एक सौ चौंसठ मंदिरों का समागम है जिसे दो शताब्दियों में चंद शासकों द्वारा भव्य तरीके से बनवाया गया था। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के आसपास देवदार के घने जंगल हैं और मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है।
कुमाऊं कैसे पहुंचे –
-वायु मार्ग द्वारा: इसका निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर (नैनीताल) में है। गर्मियों के मौसम में नियमित फ्लाइट्स यहां आती हैं।
-रेल मार्ग द्वारा: नैनीताल और अल्मोड़ा के लिए निकटतम रेलवे काठगोदाम रेलवे स्टेशन है।
-सड़क मार्ग द्वारा: कुमाऊं सड़क के माध्यम से कई महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है।
कुमाऊं घाटी में ट्रैकिंग-
कुमाऊं में ट्रैकर्स के लिए तीन अलग ट्रैकिंग क्षेत्र हैं। नैनीताल जिले के साथ-साथ झील वाले हिस्से में हिमालयी क्षेत्र, अल्मोडा, रानीखेत, कौसानी, चौकरी के पहाड़ और पिथौरागढ़ के साथ-साथ कुमाऊं पहाडियों की हिमालयी ग्लेशियर के रास्तों पर ट्रैकिंग का मज़ा ले सकते हैं। स्कूली बच्चों और आसान ट्रैकिंग के लिए नैनीताल ट्रैक ठीक है। इसमें ट्रैकिंग का रास्ता भी आसान है और नैनीताल में सुविधाएं भी उपलब्ध हैं
अगर थोड़ा वाइल्ड ट्रैकिंग का मज़ा लेना चाहते हैं तो अल्मोड़ा, रानीखेत, कौसानी, पिथौरागढ़ और चौकोरी के पहाड़ों पर जाना चाहिए। कुमाऊ पहाडियों के हिमालयी ग्लेशियर क्षेत्र में आपको रास्ता थोड़ा ऊबड-खाबड और मुश्किल मिलेगा लेकिन यहां की नदियां और बुरांस के जंगल आपको तरोताजा महसूस करवाएंगे। कुमाऊं के इस क्षेत्र में आप रॉक क्लाइंबिंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग और माउंटेनियरिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं।
कुमाऊं के प्रमुख पर्यटन स्थल नैनीताल कुमाऊं पर्वत में 1938 मीटर की ऊंचाई पर बसा नैनीताल बहुत ही खूबसूरत है। लोग काफी दुर दुर से गर्मियों की छुट्टियां मनाने यहीं आते हैं। यहां हल्के हरे रंग के पानी से भरी झील भगवान शिव की पत्नी के चक्षु का प्रतीक है। इस झील बोटिंग भी की जाती है।3 किमी की दूरी पर हनुमान मंदिर भी स्थित है जहां से पूरी पहाड़ी का बड़ा ही खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है।
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रानीखेत-
यहां पर प्रसिद्ध झूला देवी मंदिर है और नंदा देवी और सफेद हिमालय इस जगह को खास बनाते हैं। यहां पर कुमाऊं के रेजिमेंट का मुख्यालय भी है। सफेद बर्फ से ढकी हिमालय की पहाडियों में आकर लोगो को आजाद पंछी जैसा महसूस होता है। ये पुरानी बात है। इस जगह पर आकर पर्यटकों छुट्टियां बिताना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि ये शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से बिलकुल अलग है।
पिथौरागढ़ –
यह उत्तराखंड के सबसे पूर्वी पहाड़ी जंक्शन में स्थित है। पिथौरागढ़ एक छोटी घाटी में 5 किमी में फैला है कुमाऊं के चंद शासकों का संबंध पिथौरागढ़ से भी है। पिथौरागढ़ एक विशिष्ट स्थल है और इसे ‘सौर घाटी’ के रूप में जाना जाता है। समुद्र तल से लगभग 1650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पिथौरागढ़ से त्रिशूल, नंदा देवी, पंचचुली समूह और यहां तक कि नेपाल के अप्पी पर्वत का खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है।
। यहां आने का सबसे सही समय नवंबर से मई के बीच रहता है। जून के मध्य से मध्य नवंबर तक यहां आना बिलकुल सही नहीं रहता है। रेलवे मार्ग के लिए यहां से रामनगर रेलवे स्टेशन लगभग 51 किमी दूर है और निकटतम हवाई अड्डा आपको पंतनगर (110 किमी) पड़ेगा।