अंतरिम बजट से मतदाताओं को लुभाने की हर कोशिश करेगी भाजपा सरकार

लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट के जरिये मतदाताओं को लुभाने की हरसंभव कोशिश करेंगे। हालांकि, लोक लुभावन घोषणाओं के कारण सरकार राजकोषीय लक्ष्यों से चूक सकती है। विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भाजपा के हाथों से फिसलने के बाद मोदी अब देश भर के मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश करेंगे। विपक्षी दलों की सियासी वापसी के कारण वह काफी दबाव महसूस कर रहे हैं।

 Budget Session

कांग्रेस किसानों की कर्जमाफी से लेकर गरीबों को न्यूनतम आय सुनिश्चित करने के वादे करके जनता को लुभा रही है। माना जा रहा है कि सरकार अंतरिम बजट में फसल की बुवाई से पहले निश्चित राशि सीधे किसानों के खाते में डालने की घोषणा करेगी। इससे सरकार पर 700 अरब रुपये का बोझ पड़ेगा। यह इस साल राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 फीसदी रखने के लक्ष्य से चूकने और अगले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड कर्ज की वजह बन सकता है।

 

अर्थशास्त्री प्रकाश सकपाल के मुताबिक, भाजपा या कांग्रेस में किसी के भी सत्ता में आने पर वित्तीय हालत खराब ही होगी। सरकार को अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 3.3 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी करना होगा। सरकार को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कुल कर्ज 64 खरब रुपये करना होगा, जो वित्त वर्ष 2018-19 में संशोधन के बाद 53.5 खरब रुपये था।

खर्च के दबाव के साथ ही राजस्व वृद्धि के मामले में भी हालात ठीक नहीं हैं। सरकार ने वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) से हर महीने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व का लक्ष्य रखा था, जो अब तक हासिल नहीं हो पाया है। वहीं, संपत्तियों की बिक्री से भी सरकार को अनुमानित आय नहीं हो पाई। वित्तीय घाटा बजटीय लक्ष्य के 114.8 फीसदी पर है।

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अगर सरकार वित्तीय घाटे के लक्ष्य को 3.3 फीसदी रखना चाहती है तो उसे सरकार के खर्च में कटौती करनी होगी। अंतरिम बजट में लोक-लुभावन घोषणाओं के बाद लागू करने से सरकार का खर्च बढ़ेगा। राजस्व कमी और बजटीय घाटे की भरपाई के लिए सरकार आरबीआई पर समय से पहले लाभांश भुगतान का दबाव बना सकती है। वहीं, अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए ब्याज दरों में कटौती भी की जा सकती है।

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