अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2020: 1952 में मातृभाषा के लिए शहीद हुए युवाओं की स्मृति में मनाते हैं ये दिवस

मनुष्य के जीवन में भाषा का अलग ही महत्व है. भाषा के माध्यम से हम अपनी बात कह सकते हैं और दूसरों के विचारों को समझ सकते हैं. भाषा के बिना अब जीवन व्यापन मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता का प्रसार करना है.

international language day

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए 21 फरवरी को मनाया जाता है. पहली बार यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर 1999 को घोषित किया गया, इसे औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2002 में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 56/262 बहुभाषावाद को अपनाने के साथ मान्यता दी गई थी.

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बांग्लादेश

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का विचार बांग्लादेश की पहल थी. बांग्लादेश में 21 फरवरी उस दिन की सालगिरह है जब बांग्लादेशियों ने बंगला भाषा के लिए मान्यता के लिए लड़ाई लड़ी थी. 1952 में भाषा आंदोलन के दौरान अपनी मातृभाषा के लिए शहीद हुए युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने 1999 में 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. शहीदों के स्मारक और उसकी प्रतिकृतियों पर फूल चढ़ाकर बांग्लादेशी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाते हैं. इसे शोहिद दिबश (शहीद दिवस) के रूप में भी जाना जाता है. 1953 से देश में इस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जा चुका है. बांग्लादेशी अपनी भाषा और संस्कृति का सम्मान करते हुए सामाजिक समारोहों का आयोजन करते हैं, साहित्यिक प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं, सड़कों पर अल्पना को आकर्षित करते हैं, उत्सव का भोजन करते हैं और गाने सुनते हैं.

कनाडा

5 फरवरी, 2014 को एक निजी सदस्य के बिल, C-573 के रूप में मैथ्यू केलवे ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की शुरुआत की थी. 2015 में, ब्रिटिश कोलंबिया और मैनिटोबा ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन करते हुए घोषणाएँ जारी कीं. एडमोंटन ने 21 फरवरी, 2017 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया था.

 

भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में, डिजिटल कंटेंट को देश की 22 अनुसूचित भाषाओं में उपलब्ध कराया गया  और भारत की अन्य 234 मान्यता प्राप्त भाषाओं में विस्तारित की गया। जून 2016 में मैसूर के भारतीय भाषाओं के केंद्रीय संस्थान में भारतवाणी परियोजना के माध्यम से डिजिटलीकरण शुरू हुआ और फरवरी 2017 तक 60 भारतीय भाषाओं में मुफ्त में कंटेंट उपल्बध कराया गया.

 

इस दिन अधिकतर स्कूल और कॉलेजों में इसके तहत रंगारंग कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताएं आयोजित किए जाते हैं. इसमें भाषण, वाद विवाद, गायन, निबंध, लेखन प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता, संगीत और नाटकीय प्रदर्शन का भी आयोजन किया जाता है.  यूनाइटेड नेशनंस के अनुसार विश्व भर में बोले जाने वाली भाषाओं की संख्या लगभग 6000 है. इनमे 90 फीसदी भाषाओं को बोलने वाली की संख्या 1 लाख से कम है.

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