कानपुर में बिजली बिल विवाद में युवक ने की छोटे भाई की हत्या, 2007 में भी कर चुका था मर्डर

बादशाहीनाका के गुलियाना क्षेत्र में 7 जून 2025 को बिजली बिल को लेकर हुए विवाद में जितेंद्र यादव (40) ने अपने छोटे भाई विजेंद्र यादव (37) की सूजा घोंपकर हत्या कर दी।

घटना सुबह 7:30 बजे हुई, जब जितेंद्र ने विजेंद्र पर डंडे से हमला किया और फिर बर्फ तोड़ने वाले सूजा से उसका सीना चीर दिया। विजेंद्र को उर्सला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जितेंद्र की दहशत इतनी थी कि परिवार का कोई सदस्य उसे रोकने की हिम्मत नहीं जुटा सका। पुलिस ने देर रात उसे चकेरी क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।

गुलियाना सब्जी मंडी निवासी जितेंद्र और विजेंद्र का परिवार प्रीपेड बिजली मीटर के बिल को लेकर परेशान था। दो महीने से बिल जमा न होने के कारण 2500 रुपये माइनस हो गया था, और चार दिन पहले कनेक्शन कट गया था। शनिवार सुबह जितेंद्र ने विजेंद्र से बिल जमा करने को कहा, जिस पर विजेंद्र ने सभी परिवार वालों से हिस्सा मांगा। इससे नाराज जितेंद्र ने गाली-गलौज शुरू की, फिर डंडे से हमला किया और सूजा से विजेंद्र का सीना चाक कर दिया। विजेंद्र लहूलुहान होकर गिर पड़ा, और जितेंद्र मौके से फरार हो गया। मां राजकुमारी की तहरीर पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया।

जितेंद्र का आपराधिक इतिहास:
बादशाहीनाका इंस्पेक्टर राजीव कुमार सिंह के अनुसार, जितेंद्र बचपन से ही अपराध में सक्रिय था। वह गुलियाना के पास रेलवे गोदाम से सामान चुराता था। 2007 में उसने कोपरगंज चौराहे पर देवी दही वाले के परिवार के एक युवक की सरेआम हत्या की थी, जिसके लिए उसे सजा हुई और 15 साल से अधिक समय तक जेल में रहा। चार साल पहले जेल से छूटने के बाद वह बर्फ और चाय के होटल का काम करने लगा। क्षेत्र में उसका दबदबा इतना था कि लोग उससे डरते थे, और घटना के दौरान भी परिवार उसे रोक नहीं सका।

पुलिस कार्रवाई:
एडीसीपी पूर्वी अंजलि विश्वकर्मा और एसीपी कलक्टरगंज आशुतोष सिंह ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। फॉरेंसिक टीम ने खून से सना सूजा बरामद किया। सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय सूत्रों की मदद से पुलिस ने जितेंद्र को चकेरी से गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ जारी है। पुलिस के अनुसार, गुलियाना क्षेत्र अपराधियों का गढ़ रहा है, जहां पहले भी कई एनकाउंटर हो चुके हैं।

परिवार की स्थिति:
जितेंद्र और विजेंद्र की मां राजकुमारी, भाई शेखर, राजेंद्र, और बहनें एक ही मोहल्ले में रहते हैं। विजेंद्र गाय पालकर दूध का काम करता था, जबकि जितेंद्र किराए के कमरे में रहकर बर्फ और चाय का व्यवसाय करता था। परिवार के पिता पवन यादव, जो दिव्यांग हैं, परिवार से अलग रहते हैं और बर्फ बेचते हैं। घटना ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया।

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