
दिल्ली। गोरक्षकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शनिवार को दिए बयान से हिन्दू संगठन असंतुष्ट नजर आ रहे हैं और मुखर हो गए हैं तथा उनकी तीखी आलोचना कर रहे हैं। यहां तक कि पीएम के बयान के बाद विश्व हिन्दू परिषद दो फाड़ में बंटा नजर आ रहा है। संघ का एक धड़ा जहां मोदी की सुर में सुर मिला रहा है तो वहीं दूसरा धड़ा पीएम के खिलाफ नजर आ रहा है। यही नहीं हिन्दू महासभा तो खुलकर मोदी के विरूद्ध आ गया है।
पीएम मोदी ने शनिवार को कहा था कि गोरक्षकों के नाम पर कुछ लोगों ने अपनी दुकानें खोल ली हैं और कुछ लोग रात में गैर-कानूनी काम करते हैं और दिन में गोरक्षकों बन जाते हैं। उसके बाद रविवार को तेलंगाना में एक रैली में पीएम मोदी ने कहा कि ये फर्जी गौरक्षक जो हैं, इनकी पहचान की जानी चाहिए और फिर सजा दी जानी चाहिए।
हिन्दू संगठन कर रहे मोदी की तीखी आलोचना
पीएम मोदी के बयान पर विश्व हिन्दू परिषद, हिन्दू महासभा, बजरंग दल और शिव सेना ने तल्ख टिप्पणियां की हैं। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पीएम का समर्थन किया है। आरएसएस ने देश में दलितों पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा करते हुए कानून को अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ त्वरित कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
आरएसएस ने कहा है कि दलितों का उत्पीड़न करना न केवल गैर-कानून बल्कि अमानवीय भी है। लेकिन संघ के इस बयान से शायद उसके सभी कार्यकर्ता सहमत नहीं हैं। भोपाल स्थित संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक संगीत वर्मा ने कहा, “दुर्भाग्यवश, मोदी जी ने जो कहा है उससे लगता है कि उन्हें सभी को एक ही खांचे में डाल दिया है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर उनका बयान थोड़ा अलग होना चाहिए था….मेरे जैसा कार्यकर्ता इससे आहत हैं।”
बीजेपी गठबंधन की पुरानी सहयोग और महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार की साझीदार शिव सेना ने कहा है कि पीएम मोदी का गोरक्षा पर दिया गया बयान गुजरात में पार्टी के सिकड़ते वोट बैंक को बचाने का प्रयास है। वहीं राम मंदिर आंदोलन और गौरक्षा कार्यक्रमों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले यह मुसलमानों को खुश करने के लिए दिया गया बयान है। नेता ने पीएम मोदी को चेतावनी देते हुए कहा कि वो 2019 में नरेंद्र मोदी हिंदुओं का वोट खो सकते हैं। आगरा की विश्व हिंदू परिषद की युनिट के उपाध्यक्ष सुनील पाराशर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ऐसा बयान देकर गोरक्षकों का अपमान किया है। सुनील ने कहा, ‘हजारों कसाई लाखों गायों को हर साल काट रहे हैं उन्हें गुंडा नहीं बोला गया बल्कि गुंडा गीता रंबिया (जो अहमदाबाद में सालों पहले मारे गए थे) जैसे लोगों को बताया गया। इससे दिखता है कि प्रधानमंत्री मोदी का दिल अब बदल गया है। मोदी को अगले लोकसभा चुनाव में इसकी कीमत चुकानी ही होगी।’
हिन्दू संगठन हुए मोदी और भाजपा के खिलाफ
1925 में आरएसएस के गठन के समय से ही उसके सहयोगी माने जाने वाले मुख्य हिन्दू संगठन, हिन्दू महासभा के कुछ नेता भी पीएम मोदी के बयान पर काफी आक्रोशित हैं। यूपी के अलीगढ़ में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के सदस्यों ने रविवार को नरेंद्र मोदी के पोस्टर को यह कहते हुए दूध पिलाया कि मोदी आस्तीन के सांप हैं। हिंदू महासभा की अलीगढ़ इकाई प्रमुख पूजा शकुन पांडे का कहना है कि मोदी को गोरक्षा के नाम पर दुकान चलाने वालों के नाम बताना चाहिए। उन्होंने वोट पाने के लिए गौरक्षा के नाम पर लोगों को लुभाने की कोशिश की है। असल में वह आस्तीन का सांप निकले।
वहीं बजरंग दल के संयोजक देवीसिंह सोंधिया ने कहा, “बजरंग दल 25 सालों से गोरक्षा कर रहा है और राजनेता चाहे जो कहें वो आगे भी इसे जारी रखेगा। बजरंग दल का सच्चा कार्यकर्ता की उगाही नहीं करता, न ही कानून को अपने हाथ में लेता है। लेकिन अगर मोदीजी ने कानून को हाथ में लेने वालों की बात की है तो उन्हें ये भी कहना चाहिए था कि देश में किसी भी कसाई को गाय की हत्या करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।”
न केवल दक्षिणपंथी संगठन बल्कि साधु-संन्यासी भी पीएम मोदी के रुष्ट नजर आ रहे हैं। शनिवार को दिए गए पीएम के बयान के बाद काशी सुमेरु पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रांनद सरस्वती ने रविवार को कहा कि मोदी के बयान से गायों की हत्या को प्रोत्साहन मिलेगा और हत्यारों को आर्थिक फायदा होगा। शंकराचार्य ने कहा, ”प्रधानमंत्री के बयान से गायों को मारने वाले लोगों को कुछ आर्थिक फायदा पहुंचा है। गौ संरक्षण के विषय पर विश्व हिंदू परिषद, गौ संवर्धन परिषद और संघ सबसे ज्यादा बात करते हैं, तो क्या विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजरंग दल ही यह दुकानें चलाते रहे हैं?” शंकराचार्य के अलावा आचार्य चक्रपाणि ने भी पीएम मोदी के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।