भारत को चाहिए स्वदेशी विनिर्माण समाधान

नई दिल्ली। भवन निर्माण के लिए नीति निर्माताओं और डिजाइनरों को स्वदेशी समाधान ढूढ़ने हेतु काम करना चाहिए, जो भारत के लिए प्रासंगिक है। यह बात केंद्रीय बिजली राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहीं। गोयल ने कहा, “भारत में पूंजी की कमी है और यह खर्चीला है। इस स्थिति में यह बहुत आवश्यक है कि नीति निर्माताओं और डिजाइनरों को स्वदेशी समाधान खोजने के लिए काम करना चाहिए।”

स्वदेशी समाधान

केंद्रीय मंत्री सरकार द्वारा संचालित उर्जा कुशल ब्यूरो और विकास एवं सहयोग के लिए स्विस एजेंसी (एसडीसी) के संयुक्त तत्वावधान में उर्जा कुशल भवन डिजाइन पर यहां आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “दुनिया के अन्य भागों की तुलना में भारत जैसे देश में प्रकाश, घरेलू और व्यवसाय की हमारी आवश्यकताएं वास्तव में गैर आनुपातिक रूप से अधिक हैं। इसलिए लोगों के आय के स्तर बढ़ने से पहले हमें लंबी दूरी तय करनी है।”

एक आधुनिक भवन संहिता अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए गोयल ने कहा कि तेजी से रूपांतरित हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह जरूरी है, जहां अगले कुछ वर्षो में एक बड़ी संख्या में भवनों के निर्माण किए जाएंगे।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि एक अनुमान के मुताबिक भारत में साल 2030 तक जितने भवन होंगे उसके केवल एक-तिहाई ही देश ने बनाए हैं और इसलिए दो सौ प्रतिशत विस्तार होगा।

नीति आयोग के अनुमान के मुताबिक, साल 2047 तक रिहायसी भवानों में उपभोग 10 गुणा बढ़ने की संभावना है।

एसडीसी ने यहां एक विज्ञप्ति जारी कर कहा, “साल 2047 में बिजली की कुल खपत में 39 प्रतिशत भागीदारी के साथ रिहायसी क्षेत्र बिजली का सबसे बड़ा उपभोक्ता बन जाएगा।”

सम्मेलन का उदघाटन करते हुए गोयल ने बहुमंजिले रिहायसी भवनों के लिए डिजाइन दिशा निर्देश भी जारी किए, जिसमें उर्जा कुशल बहुमंजिला रिहायसी भवन बनाने के लिए समग्र जानकारी है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए एसडीसी के सहयोग निदेशक डेनियल जीगरर ने कहा, “14 लाख वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र के साथ 18 परियोजनाओं को तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई गई है, जिनमें 15 व्यावसायिक और तीन रिहायसी हैं, जिसमें दर्शाया गया है कि बगैर अग्रिम निवेश में वृद्धि के 25 से 40 प्रतिशत तक उर्जा की बचत की जा सकती है।”

LIVE TV