अब लोकसभा चुनाव तक राम मंदिर का मुद्दा नहीं उठाएंगे- विहिप
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने बड़ा फैसला लिया है. वीएचपी ने राम मंदिर निर्माण अभियान को चार महीने तक के लिए रोक दिया है. लोकसभा चुनाव 2019 के संपन्न होने तक वीएचपी राम मंदिर मुद्दे पर किसी तरह का कोई अभियान नहीं चलाने का निर्णय किया है, क्योंकि वह नहीं चाहता है कि राम मंदिर मामला चुनावी मुद्दा बने. जबकि कुंभ में धर्मसभा की बैठक में साधु-संतों ने प्रस्ताव पास कर कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तक वो चैन से नहीं बैठेंगे.
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने आजतक से बातचीत में कहा कि वीएचपी ने फैसला किया है कि अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए चल रहे अभियान को लोकसभा चुनाव तक नहीं चलाया जाएगा. हम नहीं चाहते हैं कि यह कोई चुनावी मुद्दा बने, क्योंकि राम मंदिर लिए आस्था और पवित्रता से जुड़ा हुआ है.
सुरेंद्र जैन ने कहा कि अक्सर हमारे ऊपर आरोप लगते हैं किसी विशेष दल को राजनीतिक फायदा के लिए राम मंदिर निर्माण का अभियान चला रहे हैं. ऐसे में हम इसें किसी राजनीतिक दल-दल में इस मुद्दे को नहीं फंसाना चाहते हैं.
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ये एक पवित्र मुद्दा है इसे हम राजनीति से परे रखना चाहते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान जब भी कोई आंदोलन होता है, उसे राजनीति से जोड़ा जाता है. इसीलिए हमने फैसला किया है कि इसे हम चार महीने तक कोई आंदोलन नहीं चलाएंगे.
उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन को रोकने की दूसरी बड़ी वजह ये है कि चुनाव घोषणा के साथ ही देश में आचार संहिता लागू हो जाती है. ऐसे में किसी तरह के आंदोलन से अनावश्यक रूप से संघर्ष और विवाद का निर्माण होते हैं. इसीलिए लोकतंत्र के इस पर्व का सम्मान का फैसला करते हुए वीएचपी ने निर्णय किया है कि हम किसी तरह के विवाद में न पड़े और आचार संहिता के उल्लघंन में बाधा न बने. इसी को देखते हुए राम मंदिर अभियान को चार महीने तक रोकने का फैसला किया है.
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बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़ा केस अदालत में 1950 में चल रहा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 30 सितंबर, 2010 में फैसला दिया था. हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था. कोर्ट ने तीनों पक्षों रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में 2.77 एकड़ जमीन को बराबर बांटने का आदेश दिया था.
इसके बाद दोनों पक्षकारों ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, तब से ये मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में है. सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में पांच जजों की बेंच इस पर सुनवाई कर रही है. हालांकि, अगली सुनवाई की तारीख तय नहीं हो सकी है.