मृत्यु पंचक शुरू, एक जून तक भूलकर भी न करें ये काम
सनातन धर्म में कोई भी काम करने से पहले शुभ मुहूर्त जरूर देखा जाता है। घर बनवाना हो, व्यापार शुरू करना हो या शादी विवाह ग्रह और नक्षत्रों की गणना अवश्य होती है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करते समय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्राकाल, राहूकाल तथा पंचक को टाला जाता है जबकि कुछ विशेष ग्रह-नक्षत्रों के युतिकाल में कार्य का प्रारंभ करना शुभ माना जाता है। शनिवार से मृत्यु पंचक शुरू हो गया है।
मृत्यु पंचक क्या है
ज्योतिष में पंचक को अशुभ माना गया है। इसके अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्ही पांच नक्षत्रों को पंचक कहते हैं। पंचक के दौरान कुछ विशेष काम करने की मनाही है। शनिवार को जब पंचक शुरू होता है तो उसे मृत्यु पंचक कहा जाता है। इस बार शनिवार ( 28 मई ) की दोपहर 01.04 से पंचक शुरू हो गया है, जो बुधवार ( 1 जून ) की शाम 07.38 तक रहेगा।
हर दिन के पंचक का अलग नाम
रोग पंचक
रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
राज पंचक
सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इस समय कोई भी कार्य करना शुभ माना जाता है। जमीन से जुड़े कार्यों को इस पंचक में शुरू करने से मनचाही सफलता मिलती है।
अग्नि पंचक
मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।
मृत्यु पंचक
शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इस दिन किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।
चोर पंचक
शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। विद्वानों के अनुसार इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।
ध्यान दें: इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में शुरू होने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।
पंचक में भूल कर न करें ये काम
पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
पंचक में चारपाई बनवाना भी अच्छा नहीं माना जाता। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का कहना है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।
पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि जलने वाली वस्तुएं इकट्ठी नहीं करना चाहिए, इससे आग लगने का भय रहता है।
पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखना चाहिए और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।
पंचक में कर सकते हैं यह काम
ज्योतिषियों के अनुसार पंचक में आने वाला उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं।