
बुलंदशहर। बेहतर सुविधा और सहूलियत देने का चाहे जितना भी दावा किया जाए, लेकिन हकीकतन हालात बदतर ही नजर आते हैं। मामला बुलंदशहर में नवजात की मौत का। इस मासूम की जान जाना कोई दुर्घटना नहीं थी। बल्कि डॉक्टरों की लापरवाही और रिश्वतखोरी इसकी मौत की वजह बनी। परिवार का आरोप है कि सरकारी अस्पताल होने के बावजूद 10 हजार की मांग की गई। इस वजह से 12 घंटे देरी से ऑपरेशन किया गया। यही वजह थी कि बच्चा बच नहीं पाया।
बुलंदशहर में नवजात की मौत
परिवार गर्भवती महिला को लेकर सरकारी अस्पताल गया था। उनको अंदाज़ा नहीं था कि सरकारी अस्पताल में बिना रिश्वत कुछ नहीं होता।
महिला को अस्पताल में एडमिट कराया गया। वहां मौजूद एक डॉक्टर सायरा बानों ने 10,000 रूपए की रिश्वत की मांग कर डाली।
पैसे की तंगी के चलते परिवार 10 हज़ार रुपये डॉक्टर को नहीं दे सका। इसलिए दर्द से तड़प रही महिला का वक्त रहते ऑपरेशन नहीं कराया और नवजात की मौत हो गई।
खबरों के मुताबिक़ इसी डॉक्टर पर इस तरह पहले भी आरोप लगे हैं। चर्चित NH 91 हाईवे गैंग रेप की पीड़िताओ से भी रुपयों की माँग और दुर्व्यवहार के मामले को लेकर भी इनका नाम सामने आया था।
पूरा अस्पताल अवैध वसूली का अड्डा बना हुआ है। मरीज़ों के टाँके लगाने से लेकर आप्रेशन तक हर चीज़ का यहाँ रेट कार्ड बना हुआ है।
टाँके के 1000 से लेकर 1500 तक तो वही आप्रेशन के 5000 से लेकर 10 हज़ार रुपये तक मरीज़ों से वसूल किये जाते हैं।
इस खेल मे पूरा स्टाफ शामिल रहता है। मरीज़ों से हुई वसूली का हिस्सा पूरे स्टाफ में बांटा जाता है। जिला अस्पताल की सीएमएस का एक ही जवाब होता है, जांच करेंगे। मगर कार्येवाही कब होगी उसका उनके पास कोई जवाब नहीं होता।
इस मामले की भी जांच चल रही है, मगर आरोपी डॉक्टर सायरा पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।