
पटना। बिहार में लागू पूर्ण शराबबंदी कानून बीते शुक्रवार को पटना हाई कोर्ट ने गैरकानूनी बता कर सिरे से खारिज कर दिया था। लेकिन दो दिन बीतते ही आज बिहार के लिए नया कानून बन गया है, जिसके सहारे बिहार सरकार 2 अक्टूबर से फिर से नया शराब बंद कानून लागू कर रही है। हालांकि कोर्ट ने कई बार शराबबंदी क़ानून को ड्रेकोनियन क़ानून बताया। जो किसी भी राज्य के लिए बड़ी टिप्पणी है। इसके बावजूद नया कानून आज से लागू हो रहा है।
क्या था पूरा मामला
बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र में ही राज्य सरकार ने शराबबंदी संबंधी यह नया विधेयक (बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक, 2016) पारित कराया था।
राज्यपाल की मंज़ूरी के बाद सात सितंबर को बिहार कैबिनेट ने फैसला लिया था कि सरकार इस नए क़ानून को दो अक्तूबर को लागू करेगी।
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लेकिन हाइकोर्ट के फैसले के बाद लोगों के बीच एक असमंजस की स्थिति थी। इस स्थिति को साफ़ करते हुए शनिवार शाम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में एक कार्यक्रम में कहा कि लोग भ्रम में न रहें, रविवार से नया क़ानून लागू हो रहा है।
उन्होंने कहा, ”राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती की सुबह नोटिफ़िकेशन के साथ से यह क़ानून स्वाभाविक रूप से लागू हो जाएगा। बापू के विचारों को हम धरती पर उतारना चाहते हैं। इसके लिए गांधी जयंती से बेहतर कोई दिन नहीं हो सकता था।”
नीतीश सरकार ने अप्रैल में जब पूर्ण शराबबंदी की पहली बार घोषणा की थी उसके छह महीने बाद अब राजनीतिक हालात भी दूसरे हैं।
तब शराब बंंद से जुड़े नए क़ानून को तैयार करने से लेकर उसे लागू करने तक में सरकार को विपक्ष का साथ मिला था। लेकिन अब विपक्ष का कहना है कि सरकार हाई कोर्ट के शुक्रवार के फैसले के बाद नए सिरे से शराबबंदी क़ानून को संशोधित करे।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को पार्टी दफ्तर में प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार से यह मांग की।
उन्होंने कहा, ”हाई कोर्ट ने अपने फैसले में शराब बंद पर यह टिप्पणी की है कि हम राज्य को पुलिस राज्य में बदल रहे हैं। नागरिक हमेशा इस भय में जीते रहेंगे कि कब उन्हें फंसा दिया जाएगा।