राजस्थान सरकार ‘पूर्ण शराबबंदी’ पर चौतरफा घिरी, क्या यहां भी होगा बड़ा ऐलान
एजेन्सी/राजस्थान में शराब के ठेकों के विरोध में जनता एक बार फिर सड़कों पर उतर आई है। प्रदेशभर में विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है। यहां तक की घर संभालने वाली महिलाएं भी अपने आस-पास के शराब ठेके बंद कराने के लिए मैदान पर उतरने लगी हैं।
चौंकाने वाली बात ये है कि गली-मोहल्लों पर आए दिन शराब के ठेकों का विरोध उन महिलाओं को करना पड़ रहा है जिनके प्रदेश की अगुवाई खुद महिला मुख्यमंत्री कर रही हैं। बड़ी बात ये भी है कि सूबे का आबकारी महकमा भी यहां की महिला मुख्यमंत्री के पास ही है।
दरअसल, राजस्थान में पूर्ण शराबबंदी का मुद्दा फिर से पुरज़ोर तरीके से उठने की कई वजहें सामने आ रही हैं। इनमें सबसे पहली वजह नए वित्तीय वर्ष से शराब के नए ठेके खुलने को माना जा रहा है।
पहली वजह
नए ठेकों के लिए दुकानें आवंटित होने के बाद से इसके विरोध में जनाक्रोश मुखर होने लगा है। गली-मोहल्लों में इन नए शराब के ठेकों का विरोध हो रहा है। महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चों समेत लोग इन ठेकों को नहीं खुलने देने की मांग पर विरोध-प्रदर्शन कर सरकारी नुमाइंदों तक अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।
दूसरी वजह
राजस्थान में पूर्ण शराबबंदी की मुखर हुई मांग की दूसरी वजह ज़हरीली शराब से हो रही मौतों को माना जा रहा है। हाल ही में बाड़मेर में ज़हरीली शराब पीने से 18 लोगों की मौत हुई है। इस दर्दनाक घटना के बाद से भी शराबबंदी की मांग उठने लगी है।
तीसरी वजह
प्रदेश में बढ़ते जनाक्रोश से भाजपा सरकार के विधायक भी घिरने लगे हैं। हालात ये हो गए हैं कि जनप्रतिनिधि भी लोगों का साथ देते नजऱ आ रहे हैं। ज़ाहिर है, इन्ही जनप्रतिनिधियों के ज़रिये जनता की आवाज़ भी सरकार के कानों तक ज़रूर पहुंच रही है।
चौथी वजह
उधर, बाहरी राज्यों के पूर्ण शराबबंदी को लेकर उठाए गए ऐतिहासिक फैसलों को भी राजस्थान में शराब बिक्री से जोड़कर देखा जा रहा है। बिहार में नितीश सरकार के शराब बंदी के उठाए गए कदम की राजस्थान में जमकर सराहना हो रही है। प्रदेश का एक बड़ा तबका सवाल उठा रहा है कि है कि यदि देश के चार राज्यों में पूर्ण शराबबंदी लागू हो सकती है तो फिर यहां क्यों नहीं?
इन्हीं सब चर्चाओं के बीच तमिलनाडु की महिला सीएम जयललिता ने भी सत्ता में लौटने पर चरणबद्ध तरीके से प्रदेश में शराबबंदी लागू करने की घोषणा की है। जयललिता की इस घोषणा को भी राजस्थान प्रदेश की जनता यहां उठ रही शराबबंदी की मांग से जोड़कर देखने लगी है।
अब सवाल यह
राजस्थान में पुरज़ोर तरीके से उठ रही इस मांग पर न सिर्फ विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया है बल्कि लोग शराब सेवन के नकारात्मक प्रभावों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जनजागरण अभियान और रैलियां भी निकाल रहे हैं।
प्रदेश में हाल ही में नई आबकारी नीति लागू हुई है, ऐसे में प्रदेश भर की आस भरी नजऱें राजस्थान सरकार पर टिकी हुई हैं। देखना होगा की बढ़ते जनाक्रोश के सामने चौतरफा घिरती जा रही राजस्थान सरकार क्या कभी बैकफुट पर आएगी?