‘अगले 70 साल में भी नहीं मिलेगा मोदी जैसा फैसला लेने वाला’

पीयूष गोयलइंदौर| केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने नोटबंदी के फैसले को देश व गरीबों के हित में लिया गया सख्त फैसला बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि बीते 70 वर्षो में ऐसा निर्णायक फैसला लेने वाला नेता देश को नहीं मिला और न ही अगले 70 वर्षो में मिलेगा।

केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सही बताने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा शुक्रवार को मध्य प्रदेश के इंदौर में निकाली गई गरीब-किसान मार्च रैली में गोयल ने कहा कि इस फैसले को देश की जनता ने सराहा है, क्योंकि वह अपने साथ देश का हित जानती है। विपक्ष इस फैसले से परेशान है।

उन्होंने पिछली सरकारों के कार्यकाल का जिक्र किया और कहा कि देश में 2जी, कोयला जैसे घोटाले हुए हैं। बीते 70 वर्ष में कालाबाजारी काफी पनप गई थी। ऐसे में सख्त फैसलों की जरूरत थी और जनता ने सख्त व कड़क फैसले की ही मोदी से अपेक्षा की। मोदी द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले से देश को लाभ होगा।

उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में कालेधन को खत्म करने का आह्वान किया था। गांव, गरीब, किसान, मजदूर के हित में कालेधन पर प्रहार जरूरी हो गया था। देश के गरीब, किसान मजदूर ने नोटबंदी का खुले दिल से समर्थन करते हुए कठिनाइयों का धैर्य और साहस से सामना किया है।

उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण के निर्णय का समूचे देश ने स्वागत किया है और समर्थन किया है। ऐसे में इसका विरोध करके कांग्रेस सहित विपक्ष ने कालेधन का समर्थक बनकर अपना चेहरा बेनकाब कर दिया है। जन समर्थन ने साबित कर दिया है कि विमुद्रीकरण जनहित में लिया गया कदम है। प्रधानमंत्री का निर्णय अर्थव्यवस्था के सशक्तिकरण, आतंकवाद, नक्सलवाद, कालेधन की अर्थव्यवस्था पर करारा प्रहार और देश की अर्थव्यवस्था के सशक्तिकरण के लिए चमत्कारी तथा ऐतिहासिक कदम है।

इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी केंद्र सरकार के फैसले को सराहा। नोटबंदी के समर्थन में गरीब-किसान पैदल मार्च रैली चिमनबाग से संजय सेतु तक निकाली गई।

इस रैली में विभिन्न स्थानों से आए किसानों व भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में बुर्का पहने मुस्लिम महिलाएं भी शामिल हुईं। रैली में लोगों के हाथों में तख्तियां थीं, जिनमें नोटबंदी से देश को होने वाले लाभ का जिक्र था।

यह रैली भले ही किसानों का नोटबंदी का समर्थन दर्शाने के लिए निकाली गई, मगर किसान कम ही नजर आए। स्थानीय लोगों का कहना है कि इंदौर से 25 से 30 किलो मीटर दूर तक खेत ही नहीं बचे, तो किसान कहां से आएंगे।

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