
नागा साधुओं की दुनिया भी बड़ी ही रहस्यमयी होती है। कुंभ के शुरू होते ही वो अचानक से प्रकट हो जाते हैं और खत्म होते ही फिर न जाने कहां गायब हो जाते हैं।
इसके बाद फिर वो अगले कुंभ या अर्धकुंभ में ही नजर आते हैं।
आज हम नागाओं की उसी रहस्यमयी दुनिया से पर्दा उठाने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही किसी को पता हो।
नागा साधुओं के बारे में कहा जाता है कि उन्हें दिन और रात मिलाकर सिर्फ एक समय ही भोजन करना होता है।
उन्हें भिक्षा मांग कर ही अपना पेट भरना होता है। कहते हैं कि एक नागा साधु को अधिक से अधिक सात घरों से भिक्षा लेने का अधिकार होता है।
अगर सातों घरों से उन्हें कोई भिक्षा ना मिले, तो उन्हें भूखे पेट ही रहना पड़ता है और अगर मिल जाए तो उसमें पसंद-नापसंद का कोई सवाल नहीं होता है, बल्कि उसी भोजन को उन्हें प्रेम से ग्रहण करना पड़ता है।
कहते हैं कि नागा साधु एक जगह पर ज्यादा दिन तक कभी नहीं रहते।
शुरू हुई इलेक्ट्रिक कैब सेवा, प्रदूषण और सर्ज चार्ज से मिलेगी निजात…
कुछ सालों तक एक गुफा या जंगल में रहने के बाद वो फिर दूसरी गुफा या जंगल में चले जाते हैं।
इसी कारण उनके गुप्त स्थानों का किसी को भी पता नहीं चलता है। आमतौर पर कुंभ में देखा जाता है कि नागा साधु निर्वस्त्र ही रहते हैं। हालांकि कुछ नागा साधु ऐसे भी हैं जो वस्त्र धारण करते हैं।