दबंगों की होगी राजस्थान की ‘वसुंधरा’, आई खास स्कीम सिर्फ ‘माफियाओं’ के लिए!

वसुंधरा सरकारनई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था को बीते तीन साल में सबसे बदहाल बताई जा रही है। भारत को ‘मोदीफाई’ करने निकले पीएम साब पर अपने ही आंखें तरेरे खड़े हैं। अर्थव्यवस्था पर मार समय की पड़ रही है या सरकार के नौसिखिए पन की ये तो पता नहीं पर लोगों के साथ सरकार भी झटके पर झटके खाए जा रही है। ऐसे में वसुंधरा सरकार ने राजस्व बढ़ाने का एक ऐसा तरीका निकाला है, जिसमें ‘चोरों’ को इनाम दिया जाएगा।

बदहाल अर्थव्यवस्था को लेकर ही बीते दिनों ही पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिंहा ने सरकार पर आरोपों की बौछार कर दी। इसके बाद अरुण शौरी ने तो यहां तक कह दिया कि मोदी को पीएम बतौर पीएम प्रोजेक्ट करना ही हमारी सबसे बड़ी भूल थी। केंद्र के साथ ही राजस्थान की वसुंधरा सरकार भी एक्सपेरीमेंट के दौर से गुजर रही है।

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अब यहां कमाई बढ़ाने के लिए नायाब तरीका खोज लाई है। इस स्कीम में ‘चोरों’ को इनाम दिया जाएगा। बस शर्त ये है कि आप 1 जनवरी, 2017 से पहले के ‘चोर’ हों, बाद के नहीं। इसमें

सबसे पहले तो नोटिस करने वाली बात ये है कि वसुंधरा सरकार की ये मेहरबानी आम चोरों पर नहीं होगी। केवल ‘जमीन चोरों’ पर दया दिखाई जाएगी।

अब एक बड़ी शर्त इसमें भी है कि वो जिन्होंने 1 जनवरी, 2017 तक गांवों में सरकारी जमीन दबा ली हो यानी सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा हो, चारागाह या सामुदायिक संपत्ति जैसे तालाब आदि पर कब्जा कर लिया हो। ऐसे ही दबंगों के लिए सरकार ने अपनी चौथी वर्षगांठ से पहले तोहफा लाने जा रही है।

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‘जमीन चोरों’ की सर्वे रिपोर्ट तहसीलदारों से मांगी जा चुकी है। अब तैयारी राजस्थान के 45 हजार गांवों में सरकारी जमीन पर कब्जा किए बैठे 3 लाख से ज्यादा लोगों को पट्टा देकर इसका मालिक बनाने की है।

अभी जून से अगस्त तक शिविर लगा-लगाकर करीब 8 से 10 लाख पट्टे बांटे गए थे। इसी के विस्तार में अब गांवों में 300 गज तक सिवायचक यानी सरकारी जमीन पर कब्जा जमाए लोगों को बड़ी आसानी से मालिकाना हक देने की तैयारी कर ली गई है। हालांकि इसके बदले सरकार जमीन की डीएलसी कीमत वसूलेगी।

हालिया समय में वसुंधरा सरकार के खिलाफ किसान और ग्रामीणों में नाराजगी खुलकर सामने आई है। सीकर में किसान कर्ज माफी के लिए आंदोलन कर चुके हैं। अब किसानों के समर्थन में कांग्रेस राज्य भर में पदयात्राओं के जरिए खासी भीड़ भी जुटा रही है। 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ग्रामीणों और किसानों को रिझाने के लिए ये दांव खेला जा रहा है।

साभार : फर्स्ट पोस्ट

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