
हम जीवन में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि खाना खाने तक की फुर्सत नहीं होती। हर काम जल्दबाजी और भागदौड़ में करना हमारी आदत बन चुका है। एक समय पर कई काम करने वाले लोग किसी काम पर ठीक से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते और फिर नुकसान झेलना पड़ता है।
हालांकि ये दिक्कत कई लोगों को है। सुबह ऑफिस, स्कूल या कॉलेज निकलते वक्त एक हाथ में बैग और दूसरे हाथ में नाश्ता लेकर अगर आप भी भागते हैं तो ठहर जाइए। आपके स्वास्थ्य को चलते-फिरते खाना भारी पड़ सकता है।
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बैठकर खाना खाने के लिए अक्सर आपके बड़े बुजुर्ग सलाह देते हैं इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि चलने-फिरने पर खून का प्रवाह प्राकृतिक रूप से अपने आप ही हमारे हाथों-पैरों की ओर मुड़ जाता है और भोजन के लिए जो पर्याप्त मात्रा में खून हमारे पाचन तंत्र को चाहिए वो नहीं पहुंच पाता।
भारतीय संस्कृति में और आयुर्वेद के अनुसार भी ऐसा माना गया है कि भोजन जमीन पर बैठकर खाना चाहिए। इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है कि बैठ जाने पर सभी मांसपेशियां सही स्थिति में आ जाती हैं और कुछ एक्यूप्रेशर बिंदु ऐसे हैं, जिनके ऊपर दबाव पड़ने से पूरे पाचन तंत्र का रक्त प्रवाह ठीक हो जाता है।
दरअसल अगर मन में भोजन करते हुए स्वस्थ रहने की भावना जुड़ जाए तो पूरे शरीर पर उस का बड़ा उत्तम प्रभाव पड़ता है। भोजन करते समय आपका ध्यान केवल भोजन पर ही होना चाहिए। इसे माइंडफुल ईटिंग कहते हैं और यह केवल बैठकर ही संभव है। हर काम को पूरा समय दें, जल्दबाजी ना करें, भागदौड़ में नुकसान ही होता है इसलिए खाना अवश्य बैठकर आराम से खाएं।
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