नवादा| कहा जाता है कि अगर व्यक्ति समर्पण की भावना और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कुछ करने को ठान ले तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है इंडियन वुमेंस बीच हैंडबॉल टीम की खिलाड़ी खुशबू ने। तीन साल पूर्व बिहार महिला हैंडबॉल की कप्तान खशबू को उसके मम्मी-पापा ने खेल मैदान जाने से रोक दिया था और आम लड़कियों की तरह घर की चहारदीवारी के अंदर में रखा था। खुशबू को उस समय लगा था कि अब उसका सपना पूरा नहीं होगा, पर अपनी मंजिल तय कर चुकी खशबू को चाहरदीवारी में बंधना रास नहीं आया और कड़ी मुश्किल से बंदिशों से आजादी मिली।
इंडियन वुमेंस बीच हैंडबॉल
वियतनाम के दनांग शहर में 24 सितंबर से तीन अक्टूबर तक आयोजित पांचवें एशियन बीच गेम्स में इंडियन वुमेंस बीच हैंडबॉल टीम का प्रतिनिधित्व कर लौटी बिहार के नवादा जिले के पटेलनगर की रहने वाली खुशबू कुमारी बताती हैं कि उन्हें कामयाबी घर की बंदिशों से आजादी के बाद ही मिली है।
वह बताती हैं कि दादा को मंजूर नहीं था कि घर की लड़कियां खेल मैदान में जाए और लड़कों के साथ खेले। ऐसे में कई कठिनाइयों के बाद यह सफलता मिली है।
हाल ही में जिला पुलिस बल में चयनित खूशबू के पिता अनिल सिंह एक आटा चक्की चलाते हैं। अनिल सिंह बताते हैं कि पूर्व में घर के बाहर पड़ोस के लोग भी तरह-तरह के उलाहना से उनका जीना मुहाल कर दिया करते थे। आर्थिक तंगी के बावजूद खुशबू को खेलने के लिए भेजा करते थे। खुशबू ने उस समय भरोसा दिलाया था कि भविष्य में वह अपनी उपलब्धियों से सबका मुंह बंद कर देगी और आज यह सच साबित हुआ। उसने मेडलों से घर भर दिया है।
ऐसे तो प्रारंभ से ही खुशबू का पसंदीदा खेल हैंडबॉल रहा है, लेकिन इस खेल में चैंपियन बनने कहानी कम दिलचस्प नहीं है। वह बताती हैं, “वर्ष 2008 में नवादा में 54 वीं राष्ट्रीय स्कूल खेल-कूद प्रतिोगिता का आयोजन हुआ था। हैंडबॉल में लड़कियों की कोई टीम नहीं थी। तभी नवादा प्रोजेक्ट स्कूल से मेरा चयन हुआ था।”
खुशबू के नेतृत्व में बिहार टीम जीती और खुशबू इंडियन वुमेंस बीच हैंडबॉल टीम में जुड़ गई। इसके बाद तो खुशबू दिन-प्रतिदिन सफलता की नई की कहानी लिख रही है।
वर्ष 2015 में बांग्लादेश के चटगांव में आयोजित हैंडबॉल प्रतियोगिता में खुशबू भारतीय टीम का हिस्सा थी। फरवरी 2016 में पटना में भारतीय खेल प्राधिकार के तहत आयोजित राजीव गांधी खेल अभियान के नेशनल वुमेन स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में बिहार को जीत दिलाई।
खशबू के पिता अनिल सिंह और उनकी मां प्रभा देवी उसकी उपलब्धियों से काफी खुश हैं। प्रभा देवी आईएएनएस से कहती हैं, “आज आलोचना करने वालों की जुबां पर ताला लग गया। किस माता-पिता को बेटी की खुशी अच्छी नहीं लगती? लेकिन, समाज बेटियों के बारे में धारणा ठीक नहीं रखता। इसके चलते गरीब परिवार की बेटियों को आगे बढ़ने में ऐसी परेशानियां आती हैं। भगवान ने हम सबों की सुन ली।”
खुशबू का पैतृक गांव नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड अंतर्गत परमा है। खशबू के पिता बच्चों की पढ़ाई के लिए नवादा शहर में रहते हैं। खुशबू की बहन सोनी बीएसएफ में हेड कांस्टेबल है, जबकि भाई दीपक स्नातक का छात्र है।
वियतनाम से भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर लौटी खशबू को नवादा के लोगों ने शुक्रवार को सम्मानित किया है। खुशबू भी अपनी इस सफलता के लिए शुभचिंतकों का आभार जताना नहीं भूलतीं।