नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने डीएनटी और टीएनटी जैसे विस्फोटकों का पता लगाने के लिए एक छोटा और पोर्टेबल सेंसर विकसित किया है जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक स्थानों पर आतंकवाद से निपटने में किया जा सकता है। डीएनटी, टीएनटी और टीएनपी जैसे नाइट्रोएरोमैटिक विस्फोटक असैन्य और सैन्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।
ये ना सिर्फ घातक विस्फोटक हैं बल्कि पर्यावरण को भी प्रदूषित करते हैं। साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में इस उपकरण के बारे में लिखा गया है कि यह ना सिर्फ हल्का और पोर्टेबल विस्फोटक सेंसर है बल्कि पर्यावरण के लिए भी सही है।
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आतंकवादी गतिविधियों में बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री के इस्तेमाल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की के वैज्ञानिकों को यह उपकरण बनाने के लिए प्रेरित किया। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के बिनॉय मैती और प्रियदर्शिनी डे भी इस उपकरण को बनाने वाली टीम में शामिल हैं।
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इस उपकरण को फ्लोरोसेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक का इस्तेमाल कर विकसित किया गया है। जब भी यह किसी विस्फोटक के संपर्क में आता है तो इसके पॉलीमर का रंग बदल जाता है। बदले हुए रंग को नंगी आंखों से देखा जा सकता है।