आखिर ‘ट्रिपल तलाक’ बिल बना कानून, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी अनुमति
आखिर साहरा बानो के हक की लड़ाई को एक नया मुकाम मिल ही गया, जैसे ही दोनों सदनों में ट्रिपल तलाक का बिल पास हुआ मुस्लिम महिलाओं में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी. सभी ने इसके लिए सरकार को खूब सराहा और बताया कि ये लड़ाई बेहद खास रही. हालांकि इसमें कई ऐसी शर्तें हैं जिनको जानना बेहद जरुरी है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) की मंजूरी के बाद ट्रिपल तलाक बिल (Triple Talaq Bill) आखिरकार ट्रिपल तलाक कानून (Triple Talaq Law) बन गया है.
यह कानून 19 सितंबर 2019 से देश में पूरी तरह से लागू माना जाएगा. यह बिल तीन तलाक को अपराध बनाता है. दोनों सदनों से पहले ही इस बिल को केंद्र की बीजेपी सरकार ने पास करा लिया था जिसके बाद इसे केवल राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता थी.
केंद्र की मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक बिल को 25 जुलाई को लोकसभा में और 30 जुलाई को राज्यसभा से इस बिल को पास करा कर देश की मुस्लिम महिलाओं को एक तोहफा दिया है.
देश में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के जितने भी मामले 19 सितंबर 2018 के बाद के सामने आए हैं उनका निबटारा इसी कानूून के अंतर्गत किया जाएगा.
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इस बिल के पास होने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ऐतिहासिक दिन बताया था. बता दें कि राज्य सभा में इस बिल के पक्ष में 99 जबकि विरोध या विपक्ष में 84 वोट पड़े थे.
विपक्ष इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग पर अड़ा था क्योंकि विपक्ष का मानना था कि इस बिल पर केंद्र की बीजेपी सरकार जल्दीबाजी कर रही है लेकिन बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में 84 और विपक्ष में 100 वोट पड़े.