पोंगल, लोहड़ी,बिहू और मकर संक्रांति बनाने का तरीका अलग लेकिन महत्व केवल एक, जानें

पोंगल का त्योहार मकर संक्रांति की तरह ही सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष में दक्षिण भारत में मनाया जाता है। 4 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में इंद्र, सूर्य, नंदी, और कन्याओं की पूजा की जाती है। पोंगल को सुख समृद्धि के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है इसलिए इस अवसर पर लोग एक दूसरे को बधाई संदेश देते हैं। इस साल पोंगल 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आप भी भेंजें दोस्तों और रिश्तेदारों को पोंगल के शुभ संदेश हिंदी में…

पोंगल, लोहड़ी,बिहू और मकर संक्रांति

1- सूरज हुए दक्षिण से उत्तर, लो शुभ दिन अब आया है। मौज मस्ती में दिन बीते अब आया हैपी पोंगल है।

2.टेंसन को भूलकर खुखियां मनाओ, लैपटॉप से अपने डोंगल हटाओ, मिलकर सब मेरे साथ पोंगल मनाओ।

3- खाओ मिठाई, ले लो बधाई, पोंगल मनाओ 2019 वाली।

4-आज से सूर्य हुए हैं उत्तरायण, शुभ तिथियों का हुआ है आगमन। आपके जीवन में शुभ घड़ी आए, फैमली के संग पोंगल मनाएं।

5-पोंगल का पावन त्योहार आपके जीवन में लाए खुशियां, मुबारक हो आपको साल का पहला त्योहार।

6-हर सपने हों पूरे आपके, धन-दौलत समृद्धि मिले। जो भी विश हो पूरी हो जाए, पोंगल आपको मुबारक हो।

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लोहड़ी का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, लोहड़ी का संबंध माता सती से है। देवी सती के पिता दक्ष ने जब महायज्ञ का आयोजन किया तब भगवान शिव की आज्ञा के बिना सती उस यज्ञ में पहुंच गईं। प्रजापति ने अपनी पुत्री का स्वागत करने की बजाय देवी सती और उनके पति भगवान शिव का अपमान किया। अपमान से क्रोधित देवी सती ने खुद को हवन कुंड के हवाले कर दिया।

लोहड़ी का पर्व मनाने के पीछे एक कथा यह भी है कि लोहड़ी और होलिका दोनों बहने थीं। लोहड़ी का प्रवृति अच्छी थी और होलिका का व्यवहार अच्छा नहीं था। होलिका  अग्नि में जल गई और लोहड़ी बच गई। इसके बाद से पंजाब में उसकी पूजा होने लगी और उसी के नाम पर लोहड़ी का पर्व मनाया जाने लगा।

लोहड़ी की एक कथा भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नाम की राक्षसी को नंदगांव भेजा। उस समय लोग मकर संक्रांति मनाने की तैयारी में व्यस्त थे। अवसर का लाभ उठाकर लोहिता ने श्रीकृष्ण को मारना चाहा तो श्रीकृष्ण ने लोहिता का ही वध कर दिया। लोगों ने जब पूरी स्थिति को जाना तो लोहड़ी का त्योहार मनाया। उस समय से यह त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की शाम में हो रहा है इसलिए लोहड़ी मकर संक्रांति से 2 दिन पहले मनाया जा रहा है।

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संक्रांति के आसपास लोहड़ी, पोंगल और बिहू पर्व मनाया जाता है। ये सभी संक्रांति के ही स्थानीय रूप हैं। बिहू असम में फसल कटाई का प्रमुख त्योहार है। यह फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है।

बिहू का अर्थ क्या?

बिहू शब्द दिमासा लोगों की भाषा से है। ‘बि’ मतलब ‘पूछना’ और ‘शु’ मतलब पृथ्वी में ‘शांति और समृद्धि’ है। यह बिशु ही बिगड़कर बिहू हो गया। अन्य के अनुसार ‘बि’ मतलब ‘पूछ्ना’ और ‘हु’ मतलब ‘देना’ हुआ।

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