कोर्ट से राहत मिलने के बाद सीबीआई दफ्तर पहुंचे आलोक वर्मा

नई दिल्ली। बीते मंगलवार कोर्ट ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के हक में फैसला सुनाते हुए सरकार द्वारा उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने का फैसला पलट दिया था।

इसके बाद बुधवार को आलोक वर्मा सीबीआई दफ्तर पहुंचे। यहां पुहंचने पर आलोक वर्मा को नागेश्वर राव ने रिसीव किया। नागेश्वर राव आलोक वर्मा की गैरमौजूदगी में यहां अंतरिम डायरेक्टर के पद पर कार्यभार संभाल रहे थे। इसके बाद अब वर्मा ने वापस निदेशक के तौर पर कार्यभार संभाल लिया है। हालांकि कोर्ट के फैसले के मुताबिक, आगामी एक हफ्ते तक वर्मा कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले पाएंगे।

इससे पहले आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला निरस्त करते हुए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद आलोक वर्मा की सीबीआई में एक बार फिर से वापसी होना तय माना जा रहा था। हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद भी आलोक वर्मा कोई नीतिगत फैसला नहीं ले पाएंगे। कोर्ट ने इस बात का जिक्र भी अपने फैसले में किया।

आलोक वर्मा के पक्ष में फैसला आने से कोर्ट द्वारा सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट के फैसले के बाद आलोक वर्मा ने मांग की है कि उनका कार्यकाल 75 दिनों तक बढ़ाया जाए क्योंकि वह 75 दिनों तक छुट्टी पर रहे।

इससे पहले सीबीआई में आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच मचे घमासान के चलते सरकार द्वारा इन दोनों ही अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित करते हुए छुट्टी पर भेज दिया गया था। वर्मा ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का रुख किया था। जहां अब 75 दिनों बाद कोर्ट ने वर्मा के पक्ष में फैसला सुनाया है।

कोर्ट ने सरकार का फैसला पलटते हुए उन्हें सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजने का फैसला निरस्त करते हुए वर्मा की सीबीआई में वापसी करा दी है। कोर्ट के इस फैसले को सीबीआई के झगड़े में वर्मा की जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

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वहीं इस मसले पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के सामने वर्मा को उनकी जिम्मेदारियों से हटाकर अवकाश पर भेजने के अपने फैसले को सही ठहराया था और कहा था कि उनके और अस्थाना के बीच टकराव की स्थिति है जिस वजह से देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी जनता की नजरों में हंसी का पात्र बन रही है।

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अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बेंच से कहा था केंद्र के पास हस्तक्षेप करने और दोनों अधिकारियों से शक्तियां लेकर उन्हें छुट्टी पर भेजने का अधिकार है।

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