सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल आधिकारी ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, लगाए कई आरोप

नई दिल्ली। साल 2016 में भारत ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इस सैन्य कार्रवाई में भारतीय सेना के पैरा कमांडो की एक टुकड़ी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में डेरा डाले हुए आतंकियों के कई लॉन्च पैड्स को खत्म किया था। इस काम के लिए सेना को खूब सराहना भी मिली थी। केंद्र की बीजेपी सरकार पर सेना की इस सफलता का श्रेय लेने की कोशिश का आरोप भी लगाया गया।

इन सबके बीच सैन्य कार्रवाई के दौरान सेना की नॉर्दर्न कमान के प्रमुख (रिडायर्ड) लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने सर्जिकल स्ट्राइक के प्रचार प्रसार पर सवाल किया है। हालांकि उन्होंने पाकिस्तानन के कड़ा संदेश देने के लिए 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक को जरूरी बताया, पर उन्होंने इसके ‘राजनीतिकरण’ को लेकर भी आगाह किया।

लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा कि सफलता को लेकर शुरुआती खुशी स्वाभाविक है, लेकिन सैन्य अभियानों का लगातार प्रचार करना अनुचित है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह बेहतर होता कि ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी गोपनीय रखी जाती।

दरअसल, चंडीगढ़ में चल रहे मिलिट्री लिट्रेचर फेस्टिवल के दौरान ‘सीमा पार ऑपरेशंस और सर्जिकल स्ट्राइक पर बोलते हुए हुड्डा ने कहा कि सर्जिकल स्ट्रा्इक के बाद आरोप थे कि मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है, और ‘चुनिंदा वीडियोज, फोटोग्राफ्स को लीक करके एक मिलिट्री ऑपरेशन को राजनीतिक चर्चा में बनाए रखने का प्रयास हुआ।’

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ले. जनरल (रिटा.) ने कहा, ‘क्या महिमामंडन से फायदा हुआ? मेरे हिसाब से बिल्कुल नहीं।’ अगर आप सैन्य ऑपरेशंस में राजनैतिक फायदे लेना शुरू कर देंगे तो यह ठीक नहीं है। (उस समय) दोनों तरफ से, बहुत सारी राजनैतिक बयानबाजी हुई। सेना के ऑपरेशंस का राजनीतिकरण होना ठीक नहीं है।

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पूर्व सैन्यू अधिकारी ने कहा, ‘क्या हम अगली बार सोचेंगे कि (अगर) हमारे लोग मारे गए तो? चूंकि इसको इतना प्रचारित किया गया है, क्या इसका असर नेतृत्व पर होगा? क्या होगा अगर यह (ऑपरेशन) उतना सफल ना हो? इससे भविष्य में सावधान होना पड़ सकता है। अगर हमने चुपचाप (सर्जिकल स्ट्राइक) किया होता तो ज्यादा अच्छा होता।’

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