जानें कब है संकष्टी चतुर्थी, जानिए व्रत कथा, महत्व…   

गणेश चतुर्थी हर महीने की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस बार 11 अपैल 2020 को यह त्योहार मनाया जाएगा। जो हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ती है।  महीने में दो चतुर्थी आती हैं पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी तो अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

 

संकष्टी चतुर्थी

इस दिन शाम के समय स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान गणेश की पूजा की तैयारी शुरू करें। पूजा में फूल, अक्षत, शुद्ध जल, पंचामृत, धूप दीप, दूर्वा का इस्तेमाल करें। संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा पढ़ने के बाद गणेश जी की आरती करें। विघ्नहर्ता से सुख की कामना करें। उन्हें मोदक के लड्डू चढाएं। फिर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद लड्डू खाकर व्रत खोल लें। इसके बाद भोजन ग्रहण करें।

एक समय की बात है कि विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्‍मीजी के साथ निश्चित हो गया। विवाह की तैयारी होने लगी। सभी देवताओं को निमंत्रण भेजे गए, परंतु गणेशजी को निमंत्रण नहीं दिया, कारण जो भी रहा हो। अब भगवान विष्णु की बारात जाने का समय आ गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह समारोह में आए। उन सबने देखा कि गणेशजी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। तब वे आपस में चर्चा करने लगे कि क्या गणेशजी को नहीं न्योता है? या स्वयं गणेशजी ही नहीं आए हैं? सभी को इस बात पर आश्चर्य होने लगा। तभी सबने विचार किया कि विष्णु भगवान से ही इसका कारण पूछा जाए।

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विष्णु भगवान से पूछने पर उन्होंने कहा कि हमने गणेशजी के पिता भोलेनाथ महादेव को न्योता भेजा है। यदि गणेशजी अपने पिता के साथ आना चाहते तो आ जाते, अलग से न्योता देने की कोई आवश्यकता भी नहीं थीं। दूसरी बात यह है कि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि गणेशजी नहीं आएंगे तो कोई बात नहीं। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता।

 

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