शेयर बाज़ार : मात्र 1 लाख से 15 सालों में शेयरधारकों ने बनाये 74 करोड़ !

शेयर बाजार का एक गोल्डन रूल यह भी माना जाता है कि आपको अधीरता छोड़नी होगी. इसमें अगर आप काफी धैर्य रखते हैं तो उसका फल मीठा होता है.

अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो आपके लिए कोई सीमा नहीं है. टायर की दिग्गज कंपनी एमआरएफ के शेयरधारकों के लिए भी ऐसा ही कुछ साबित हुआ है.

अप्रैल 1993 से में जिन शेयरधारकों ने 11 रुपये का एक शेयर खरीदा उसका भाव 30 अप्रैल, 2018 को 81,423 रुपये पर पहुंच चुका था, जब शेयर अपनी सर्वकालिक ऊंचाई पर थे.

यानी किसी ने तब एक लाख रुपये निवेश किया होता तो 15 साल में उसका यह निवेश 74 करोड़ रुपये हो जाता.

आज इस शेयर की कीमत करीब 54,500 रुपये है.  असल में एमआरएफ (मद्रास रबर फैक्ट्री) ने 10 रुपये प्रति शेयर के फेसवैल्यू के साथ 1993 में शेयर बाजार में प्रवेश किया था यानी यह सार्वजनिक कंपनी बनी थी. 27 अप्रैल, 1993 को कंपनी के शेयर 11 रुपये पर बंद हुए थे.

बीएसई के आंकड़ों के मुताबिक 11 मई, 2009 से 9 मई 2019 यानी दस साल में एमआरएफ के शेयर भाव में 2,210 फीसदी की बढ़त हुई है.

पिछले पांच साल में इस शेयर में 154.83 फीसदी की बढ़त हुई है. हालांकि, पिछले एक साल में कंपनी के शेयर भाव में 28.72 फीसदी की गिरावट आई है.

इस साल की शुरुआत से अब तक कंपनी के शेयर भाव में 18.65 फीसदी की गिरावट आई है.

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वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनी को 1,097.87 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में कंपनी को 1,092.28 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था.

कंपनी को इस दौरान 16,254.47 करोड़ रुपये की आय हुई. पिछले एक साल में एमआरएफ ने 10 रुपये के फेसवैल्यू वाले शेयर पर कुल मिलाकर 600 फीसदी का लाभांश घोषित किया है, यानी एक शेयर पर 60 रुपये का डिविडेंड मिला है.

गौरतलब है कि एमआरएफ भारतीय शेयर बाजार का सबसे महंगा शेयर है. इसकी वजह यह है कि एमआरएफ ने कभी भी शेयरों का विभाजन नहीं किया है.

कंपनियां अक्सर अपने शेयरों की खरीद-फरोख्त बढ़ाने के लिए समय-समय पर उनका विभाजन कर देती हैं ताकि शेयर कीमत कम हो जाए और लोग फिर निवेश के लिए आकर्ष‍ित हों.

एमआरएफ की शुरुआत 1946 में तत्कालीन मद्रास (अब चेन्नई) में के.एम. मैमन मैप्पिल्लई द्वारा की गई थी. कंपनी ने अपने कारोबार की शुरुआत गुब्बारे बनाने से की थी और 1952 में थ्रेड रबर का निर्माण शुरू किया. नवंबर 1960 में मद्रास रबर फैक्टरी ने टायरों का निर्माण शुरू किया.

 

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