
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेबाकी से अपनी राय रखी. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के शहीद हेमंत करकरे के अपमान वाले बयान से बीजेपी ने भले ही किनारा कर लिया है, लेकिन इंटरव्यू के दौरान शिवराज सिंह चौहान खुलकर उनका बचाव करते हुए दिखे .
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘भारत की एक ऐसी बेटी जो संन्यासी है, जिन्होंने एक मकसद के लिए अपने जीवन को समर्पित किया है उन्हें बिना किसी अपराध के, कानून का दुरुपयोग करके आप जेलों में रखते हैं. अत्याचार और अन्याय उनके ऊपर होता है. कांग्रेस ने, यूपीए की सरकार ने हिंदुत्व को बदनाम करने की भरपूर कोशिश की. साजिश रची, और वो साजिश बेनकाब हो गई. अब साध्वी के चुनाव लड़ने पर ही आपत्ति कैसे प्रकट कर सकते हैं.’
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भोपाल से चुनाव न लड़ने के सवाल पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘जब मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार नहीं है, वैसी स्थिति में मैं कार्यकर्ताओं को संघर्ष के लिए अकेले छोड़कर नहीं जा सकता है. जब तक सरकार थी तब तक मैं ठाट से मुख्यमंत्री बना रहा, लेकिन अब सरकार नहीं है तो कार्यकर्ताओं को छोड़कर दिल्ली नहीं जा सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘मेरी अंतरआत्मा कहती है कि मुझे राज्य के लिए काम करना चाहिए. मैं लोकसभा चुनाव लड़ककर दिल्ली नहीं जाना चाहता हूं. मैं इमोशनली राज्य की जनता से जुड़ा हुआ हूं. मैं यहीं रहूंगा, संघर्ष करूंगा, कांग्रेस सरकार की छाती पर मूंग दलूंगा. जो वादे किए हैं उसे पूरे कराने के लिए लड़ाई लड़ूंगा. मैंने विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद पार्टी से ये बात कह दी थी.’
काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती
इस सवाल पर कि राज्य विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी को जीत हासिल होती है, वही पार्टी लोकसभा चुनावों में भी सफलता कायम करती है, शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश की संसदीय राजनीति में आम तौर पर यही ट्रेंड रहा है. लेकिन मध्य प्रदेश यह ट्रेंड बदलने जा रहा है. इस सरकार (कांग्रेस) का रंग उतर चुका है और इसका असली रंग सामने आ गया है.
साढ़े तीन महीने में कांग्रेस का चेहरा साफ हो गया है. कर्ज माफी का वादा पूरा नहीं किया गया. किसानों के कर्ज माफ नहीं हुए. कांग्रेस अपने वादे पूरे करने में नाकाम रही. उन्होंने कहा कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है. कर्ज माफ नहीं हुआ. बेरोजगारी खत्म नहीं हुई. तो लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी जीत हासिल करने जा रही है.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच लड़ाई है. इन सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जा चुकी है. 2014 के चुनावों में बीजेपी को 27 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को दो सीटें. रतलाम के उप-चुनाव में ये सीट कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को चली गई थी.