राजधानी में धड़ेल्ले से चल रहा पानी का काला कारोबार, बर्बाद हो रहीं जिंदगियां

abhishek yadav

लखनऊ-वक्त बदला तो कारोबार के तौर-तरीके भी बदल गए यहां तक की कुदरत से फ्री में मिलने वाला पानी भी प्रोडक्ट बन गया नई नई कंपनियों ने अपने ब्रांड बनाएं और शुरू हो गया पानी का काला कारोबार वह भी मनमानी के साथ ऐसा ही कुछ राजधानी में देखने को मिला जहां चल रहे आरओ और फिल्टर प्लांटों का पंजीकरण तक नहीं है।

लिहाजा यह आरओ और फिल्टर प्लांट ना तो टैक्स का भुगतान करते और ना ही पानी की गुणवत्ता की प्रमाणिकता कर रहे हैं पानी के यह काले कारोबारी गैर प्रमाणिक पानी सप्लाई कर लोगों की जिंदगी में जहर घोल रहे हैं।

राजधानी में पानी का यह कारोबार धड़ल्ले से पैर पसार रहा है दर्जनों आरओ और फिल्टर प्लांट बिना पंजीकरण बिना प्रामाणिकता के जल सप्लाई कर लोगों की जिंदगी में जहर घोल रहे हैं और खुद मालामाल हो रहे हैं जिसकी बाजार में यह मनमानी कीमत भी वसूल करते हैं मसलन प्रतिदिन वाटर कूलर मंगाने वाले से 20 से ₹50 प्रति वाटर कूलर के हिसाब से वसूली हो रही है जबकि शादी ब्याह में यह वाटर कूलरों की कीमत 50 से 70 रुपये तक हो जाती है जिसका पानी प्यूरीफाइड होता है।

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अगर बात करें राजधानी के मोहनलालगंज की तो यहां पर करीब दर्जनभर अलग-अलग क्षेत्रों में वाटर प्लांट बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे हैं जिनकी पानी की गुणवत्ता के लिए भी सरकारी तंत्र सक्रिय नहीं दिखाई देता यहां ना कोई छापेमारी होती ना कोई जांच-पड़ताल लिहाजा धड़ल्ले से पानी का यह काला कारोबार जारी है।

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