यकीन कीजिए! एक चाकू से भी ले सकते हैं सीख
जब स्वामी विवेकानंद शिकागो की धर्मसभा में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था। तब वह यात्रा पर जाने से पूर्व वह स्वामी रामकृष्ण परमहंस की धर्मपत्नी गुरु मां शारदा से आशीर्वाद लेने गए।
चरण स्पर्श के पश्चात गुरु मां से वह बोले, ‘मुझे भारतीय संस्कृति पर बोलने के लिए अमेरिका से आमंत्रण मिला है। मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए।’ मां शारदा ने कहा, ‘आशीर्वाद के लिए कल आना। मैं पहले देखूंगी कि तुम्हें पात्रता है भी या नहीं?’
विवेकानंदजी चले गए और दूसरे दिन फिर उनके पास आए। मां शारदा रसोई में थीं। आशीर्वाद की बात पर गुरु मां ने कहा, ‘पहले तुम मुझे वह चाकू उठाकर दो मुझे सब्जी काटनी है।’
विवेकानंदजी ने चाकू मां शारदा की ओर बढ़ाया। चाकू लेते हुए ही मां शारदा ने बहुत सारी नेक बातें बताईं और कहा अब मेरा आशीर्वाद तुम्हारे पास है। स्वामी जी को यह पूरा घटनाक्रम समझ में नहीं आया। लेकिन वह चले गए।
बाद में उन्होंने पूछा आपने आशीर्वाद देने से पहले मुझसे चाकू क्यों उठवाया था। तब मां शारदा बोलीं, ‘तुम्हारा मन देखने के लिए।’
मां शारदा ने कहा, ‘जब तुमने चाकू दिया तो धार वाला हिस्सा अपनी तरफ रखा और सुरक्षित हिस्सा मुझे दिया। संत वह है जो दूसरों की आपदा को दूर कर स्वयं आपदा में जीते हुए लोगों का कल्याण करें।’