मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों की भर्ती को लेकर SC का नया आदेश, जल्द पूरी होगी भर्ती प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूपी के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर बड़ा एलान कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में होने वाली भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया लागू न करने का आदेश दिया है. साथ ही साथ ये भी कहा है कि ये प्रकिया जल्द से जल्द पूरी करें. आपको बता दें कि ये भर्तियाँ 2015 से लंबित थीं.
प्रोफेसरों की भर्ती

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने अधिकतम आयुसीमा 65 वर्ष करने के निर्णय को यह देखते हुए सही करार दिया कि वर्ष 2015 से 12 वर्ष पहले तक कोई योग्य व्यक्ति चयन प्रक्रिया में शामिल होने नहीं आया। पीठ ने पाया कि वर्ष 2015 से 15 वर्ष पहले तक मेडिकल कॉलेज ऐसे प्रोफेसरों के जरिये चल रहे थे जिनके पास जरूरी योग्यता नहीं थी।

पीठ ने कहा कि इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में मेडिकल शिक्षा की क्या स्थिति है। अपने आदेश में पीठ ने कहा कि मेडिकल शिक्षा की इस गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य ने नियुक्ति के लिए अधिकतम आयुसीमा बढ़ाई है। राज्य सरकार की ओर से सकारात्मक कदम उठाया गया था लेकिन कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण इन पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी।

पीठ ने इस नियम का दिया हवाला

पीठ ने कहा कि नियम के मुताबिक, अधिकतम आयु सीमा में छूट उन विभागों पर लागू होती है जहां 25 फीसदी से अधिक पद खाली हो। आरक्षण के मुद्दे पर पीठ ने उस नियम का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि आरक्षण की व्यवस्था उस स्थिति में लागू होती है जब उस विभाग में चार से अधिक पद उपलब्ध हों। चूंकि विभागवार तरीके से प्रोफेसरों की भर्ती के लिए आवेदन मंगाए गए थे और सभी विभागों में पांच से कम पद के लिए आवेदन मांगे गए थे, इसलिए इस नियुक्ति के विज्ञापन में कोई त्रुटि नहीं है।

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राज्य सरकार ने 47 पदों पर निकाली थी भर्ती

दिसंबर 2015 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने एलोपैथिक मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के 47 पदों पर सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के लोगों को आरक्षण की व्यवस्था किए बिना यह विज्ञापन निकाला गया था। साथ ही अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 45 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई थी। इससे पहले 12 वर्ष से अधिक समय से राज्य में प्रोफेसरों की सीधी भर्ती नहीं हुई थी।

हाईकोर्ट में दी गई थी चुनौती

नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन को कुछ प्रोफेसरों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराया है।
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