दरअसल, यह एक पीपल का पेड़ है, जिसे बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाता है। साल 2012 में जब श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने भारत का दौरा किया था, उसी दौरान उन्होंने यह पेड़ लगाया था। आपको बता दें कि ईसा से 531 वर्ष पहले बोधि वृक्ष के नीचे ही भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। बौद्ध धर्म में इस वृक्ष का बेहद ही खास महत्व है।
माना जाता है कि ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने अपने बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा को बोधि वृक्ष की एक टहनी देकर बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा था। उन्होंने वह बोधि वृक्ष श्रीलंका के अनुराधापुरा में लगाया था, जो आज भी मौजूद है।
जिस बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, असल में वह पेड़ बिहार के गया जिले में है। इस पेड़ को कई बार नष्ट करने का भी प्रयास किया गया था, लेकिन यह चमत्कार ही था कि हर बार एक नया वृक्ष उग आता था। हालांकि साल 1876 में यह पेड़ प्राकृतिक आपदा के चलते भी नष्ट हो गया था, जिसके बाद 1880 में अंग्रेज अफसर लॉर्ड कनिंघम ने श्रीलंका के अनुराधापुरम से बोधिवृक्ष की शाखा मंगवा कर उसे बोधगया में फिर से स्थापित कराया था। तब से वह वृक्ष आज भी वहां मौजूद है।