प्रेरक प्रसंग : कंजूस देखते ही देखते नर्क में…
प्राचीन समय में एक बहुत कंजूस आदमी रहता था। उसने पूरी जिंदगी में किसी को कुछ नहीं दिया। पैसा ही उसके लिए सब कुछ था। मरने के बाद उसको नर्क में जगह मिली, जहां उसको अत्यंत दुखद स्थिति में रहना पड़ता था। अपनी दयनीय स्थिति पर वह रोता रहता था और ईश्वर से इसे बाहर निकालने की प्रार्थना करता रहता था।
अंत में ईश्वर को उस आदमी पर दया आ गई और उसको नर्क से निकालने के उपाय खोजने लगे। ईश्वर ने चित्रगुप्त से कई बार इस संबंध में सलाह-मशविरा किया कि कैसे इस कंजूस को नर्क से बाहर निकाला जाए। चित्रगुप्त ने अपना खाता खंगालने के बाद बताया कि इस कंजूस से कभी किसी को कुछ नहीं दिया।
तभी ध्यान आया कि कंजूस ने एक बार एक व्यक्ति को सड़ा हुआ केला दिया था। इस तरह ईश्वर को उस कंजूस को नर्क से बाहर निकालने का उपाय मिल गया। भगवान ने उसको एक छड़ी दी, जिसके सहारे वह नर्क से बाहर निकल सकता था।
छड़ी पाकर कंजूस काफी खुश हुआ और उसके ऊपर चढ़ने लगा। उसको चढ़ता देख नर्क भोग रहे बाकी दूसरे लोग भी छड़ी पर चढ़ने लगे। यह देखकर कंजूस उन लोगों को नीचे धकेलने लगा। वह चिल्ला-चिल्ला कर कहने लगा कि यह छड़ी ईश्वर ने मुझे दी है, इसलिए आप लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। बस फिर क्या था, कंजूस देखते ही देखते नर्क में आ गिरा और छड़ी गायब हो गई।
आप वही पाते हैं, जो दूसरे को देना चाहते हैं। यदि आपने अपने जीवन में किसी को कुछ नहीं दिया तो आपको भी कभी कुछ नहीं मिलेगा कंजूस लोग न खुद जीवन का आनंद उठाते हैं न दूसरों के किए कुछ करते हैं इसलिए तकलीफों को भोगते हैं। यह ईश्वरीय न्याय है।