दिल टूटने पर भी हो सकती है आपकी मौत, रिपोर्ट में हुए चौंकाने वाले खुलासे

जिंदगी में किसी को खो देने का डर, दुख, बुरी घटना से हमारे दिल के टूटने का जिक्र मेडिकल साइंस में भी है। वैज्ञानिक दिल के टूटने की प्रक्रिया को ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम (Broken Heart Syndrome) कहते हैं। दिल का टूटना आपको भावनात्मक तौर पर इतना कमजोर कर देती है कि आपके दिल की धड़कने अप्रत्याशित तौप पर चलने लगती है। इसे आर्टियल फाइब्रिलेशन (Atrial Fibrillation – AF) कहते हैं। पिछले दो दशकों में आर्टियल फाइब्रिलेशन के मामले काफी ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं।

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रिपोर्ट के मुताबिक, जब अप्रत्याशित तौर पर दिल की धड़कनें तेज होती हैं तो उससे शरीर के हॉर्मोनल ग्लैंड्स, ब्लड प्रेशर, दिल में खून का बहाव, दिमाग काम करना बंद करने लगता है। जिससे स्ट्रोक का पांच गुना और मौत का दोगुना खतरा रहता है।

एक रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि साल 2030 तक यूरोप में आर्टियल प्राइब्रिलेशन के 1.40 से 1.70 करोड़ मरीज होंगे। यूरोपीय देशों में हर साल 1.20 से 2.15 लाख AF मरीज बढ़ रहे हैं। अमेरिका में साल 2030 तक AF के मरीजों की संख्या करीब 1.21 करोड़ हो जाएगी। जबकि, साल 2010 में यह सिर्फ 52 लाख थी। हैरानी की बात ये है कि AF के होने की असली वजह अभी तक किसी वैज्ञानिक या डॉक्टर को पता नहीं चल पाई है। हालांकि, इसमें जेनेटिक और पर्यावरणीय वजहें भी शामिल हैं।

आर्टियल फाइब्रिलेशन के लक्षण आर्टियल फाइब्रिलेशन कई बार अचानक से तीव्र हो जाता है। या फिर धीमे-धीमे स्थाई तौर पर रह जाता है। ये स्थिति विकसित होने में कई साल लगते हैं। अगर ऐसे में आपको किसी तरह का दुख, दर्द, तनाव होता है, या फिर आप शराब पीते हैं, थकान है, बेचैनी है या कैफीन ज्यादा लेते हैं तो मौत का खतरा रहता है। आप सोच रहे होंगे कि दिल टूटने से मौत की बात छेड़ कर ये कहानी कहां चली गई। लेकिन आर्टियल फाइब्रिलेशन (Atrial Fibrillation – AF) का संबंध दिल टूटने के बाद होने वाली मौत के लिए प्लेटफॉर्म तैयार करना है।

असल में आर्टियल फाइब्रिलेशन (Atrial Fibrillation – AF) और ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम (Broken Heart Syndrome) का सीधा संबंध है। इस बारे में एक रिसर्च जर्नल ओपन हार्ट में प्रकाशित हुआ है। इस स्टडी को आरहस यूनिवर्सिटी के डच वैज्ञानिकों ने पूरा किया था। जिसमें बताया गया था कि अपने पार्टनर को खोना या खोने के डर से आपके शरीर में आर्टियल फाइब्रिलेशन का खतरा बढ़ जाता है। यह खतरा एक से दो साल के अंदर ही विकसित हो जाता है। इसी समय में आपकी मौत हो सकती है या फिर ज्यादा से ज्यादा एक-दो साल और।

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यह खबर आजतक में छपि खबर के आधार पर लिखी गई…

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