
देश में एक तरफ जहां कोरोना की दूसरी लहर धीमी पढ़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ तीसरी लहर के आने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में हर कोई इससे बचने के उपाय ढूंढ रहा है। क्योंकि ऐसा दावा किया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर दूसरी लहर से ज्यादा घात होगी और इसमें मौतों की संख्यां अधिक बढ़ सकती है।

इन सब खबरों के बीच एक अच्छी खबर भी सामने आई है। दरअसल, हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा के बारे में बताया है जिससे अस्पताल में भर्ती कोरोना के मरीजों की मृत्युदर को 41 फीसदी तक कम किया जा सकता है। जिस दवा का वैज्ञानिक जिक्र कर रहे हैं, उसे अब तक शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए प्रयोग में लाया जाता रहा है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोरोना के रोगियों की जान बचाने में स्टैटिन दवाएं काफी कारगर साबित हो सकती हैं। स्टैटिन दवाओं को एचएमजी-सीओए रिडक्टेस इनहिबिटर के रूप में भी जाना जाता है। यह दवाएं अब तक ब्लड लिपिड को कम करने के लिए प्रयोग में लाई जाती रही हैं।

शोधकर्ताओं ने बताया कि स्टैटिन दवाएं, ज्ञात एंटी-इंफ्लामेटरी इफेक्ट और बाइंडिंग क्षमताओं के माध्यम सार्स-सीओवी-2 संक्रमण को रोक सकती हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि यह दवाएं संभावित रूप से वायरस की प्रगति और रोग की गंभीरता को रोकने में फायदेमंद हो सकती है। जैसा कि स्टैटिन दवाएं, कोलेस्ट्रॉल बनाने वाली लिवर एंजाइम को अवरुद्ध करके रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायक होती हैं, इसी आधार पर इसे कोरोना के गंभीर मामलों में भी मददगार माना जा रहा है।