
असम के प्रसिद्ध गायक जुबीन गर्ग की सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान हुई दुखद मृत्यु के बाद, उनके शव का पोस्टमार्टम शनिवार को पूरा हो गया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि जुबीन के पार्थिव शरीर को भारतीय दूतावास के अधिकारियों की मौजूदगी में उनके साथ गए दल—शेखर जोशी गोस्वामी, संदीपन गर्ग और मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा—को सौंप दिया गया है।
52 वर्षीय जुबीन गर्ग, जो अपनी हिट गीत ‘या अली’ के लिए जाने जाते हैं, सिंगापुर में नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल में प्रदर्शन के लिए गए थे। शुक्रवार को स्कूबा डाइविंग के दौरान उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई, जिसके बाद उन्हें तुरंत सीपीआर दिया गया और सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल ले जाया गया। हालांकि, डॉक्टरों के प्रयासों के बावजूद, दोपहर लगभग 2:30 बजे (भारतीय समयानुसार) उनकी मृत्यु हो गई।
मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि सिंगापुर अधिकारियों ने उन लोगों से पूछताछ की, जो जुबीन के साथ थे। इस दल में 11 लोग शामिल थे, जिनमें सिंगापुर में रहने वाली असमिया समुदाय के अभिमन्यु तालुकदार, जुबीन की टीम के चार सदस्य और दो क्रू मेंबर शामिल थे। सरमा ने यह भी कहा कि शव को शनिवार शाम तक नई दिल्ली और रात तक गुवाहाटी लाने की व्यवस्था की जा रही है। गुवाहाटी में, जुबीन के पार्थिव शरीर को सरुसजाई स्टेडियम में रखा जाएगा, ताकि लोग अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।
जुबीन की मृत्यु की खबर से असम और पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, “जुबीन गर्ग के अचानक निधन से स्तब्ध हूं। उन्हें उनके संगीत में समृद्ध योगदान के लिए याद किया जाएगा। उनकी गायकी हर वर्ग के लोगों में लोकप्रिय थी। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें “असम की आवाज” बताया, जबकि राहुल गांधी ने उनके निधन को “भयानक त्रासदी” करार दिया।
जुबीन गर्ग ने असमिया, हिंदी और बंगाली सहित 40 से अधिक भाषाओं और बोलियों में गीत गाए। उनकी पहली असमिया एल्बम ‘अनामिका’ (1992) ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। ‘या अली’ (गैंगस्टर) और ‘दिल तू ही बता’ (कृष 3) जैसे गीतों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। वह न केवल एक गायक, बल्कि संगीतकार, गीतकार, अभिनेता और फिल्म निर्माता भी थे, जिन्होंने असमिया संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहचान दिलाई।
गुवाहाटी और जोरहाट में प्रशंसकों की भीड़ अपने प्रिय गायक को अंतिम विदाई देने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़ी। सरमा ने कहा कि अंतिम संस्कार और स्मारक के बारे में निर्णय उनके शव के असम पहुंचने के बाद लिया जाएगा, क्योंकि जुबीन की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार जनता की सहमति से हो।