जिला कमेटियों के गठन के बाद पदाधिकारियों की तलाश में भाजपा, एक तिहाई चेहरों की हो सकती है छुट्टी
लखनऊ। जिला कमेटियों के गठन को प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जिसके बाद भाजपा की उत्तर प्रदेश की कमेटी का गठन होना है इसके लिए पदाधिकारियों की तलाश तेज हो गई है. भाजपा ने अभी से 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने अपनी टीम को जातीय समीकरण .साधने के लिए हर तबके के चेहरों को जगह दी है। लेकिन माना जा रहा है कि करीब एक तिहाई लोगों के पार्टी से बाहर किया जा सकता है। यह काम इतना भी आसान नहीं होगा। क्षेत्र की राजनीति को भी समझना उतना जरूरी है जितना कि जातीय समीकरण साधना।
विधान परिषद के स्नातक व शिक्षक क्षेत्र की 11 सीटों पर निर्वाचन के अलावा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी यही टीम कराएगी. सूत्रों के मुताबिक एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला अपना कर कई बड़े नाम कमेटी में शामिल नहीं होंगे. उपाध्यक्ष संजीव बालियान, बीएल वर्मा, नवाब सिंह नागर, जेपीएस राठौर व कांता कर्दम की कुर्सी बची रहना भी मुश्किल है.
बीजेपी के दो प्रदेश महामंत्री अब योगी सरकार के मंत्री बन चुके हैं. इस वजह से अशोक कटारिया व नीलिमा कटियार का संगठन में बने रहना मुश्किल माना जा रहा है. प्रदेश मंत्रियों में से अनूप गुप्चा, सुब्रत पाठक, संतोष सिंह, अमरपाल मौर्य, देवेंद्र सिंह, वाईपी सिंह व त्रयंबक त्रिपाठी की तरक्की हो सकती है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस महीने के अंत तक प्रदेश कमेटी के साथ क्षेत्रीय अध्यक्षों व मोर्चा अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है. मौजूदा क्षेत्रीय और मोर्चा अध्यक्षों में से आधा दर्जन को प्रदेश कमेटी में शामिल किए जाने की भी चर्चा है. बीजेपी संगठन की 98 जिला व महानगर इकाइयां हैं.