जानिए दिमागी बुखार से हुई बच्चों की मौत , सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब…

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने केंद्र, बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार से सात दिनों में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। जिसमें उनसे मुजफ्फरपुर में एईएस से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता से संबंधित सुविधाओं का विवरण मांगा गया है।

 

दिमागी बुखार

बतादें की अदालत में दो वकीलों ने यह याचिका दाखिल की है। इस बीमारी के कारण अभी तक बिहार के मुजफ्फरपुर में 130 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं पूरे बिहार में मरने वालों की संख्या 152 हो चुकी है।

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देखा जाये तो बारिश का मौसम शुरू होने के साथ रविवार को मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार का एक भी नहीं मामला दर्ज नहीं किया गया। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रभावित जिले में ड्यूटी के लिए नहीं आने वाले पीएमसीएच के एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की है।

वहीं श्री कृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच) के अधीक्षक सुनील कुमार शाही ने कहा, ‘एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (दिमागी बुखार) बच्चों को उस वक्त अपनी चपेट में लेता है, जब भीषण गर्मी पड़ रही होती है और इलाके में बारिश होने पर इस रोग का प्रसार रूकता है।

लेकिन इस बार भी यही हो रहा है और आज दिन में अब तक एक भी बच्चा भर्ती नहीं किया गया। वहीं, चमकी बुखार से पीड़ितों के स्वस्थ होने के बाद उन्हें लगातार अस्पताल से छुट्टी दे रही है।’

दरअसल एईएस के कारण मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारी भी अलर्ट पर हैं। रविवार को आठ साल के एक बच्चे की मौत हो गई। निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे बताया कि उसका बच्चा एईएस से पीड़ित था।

बच्चे के पिता इब्राहिम खान ने कहा, ‘खाटेगांव में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने मुझे हताया कि मेरा बेटा दिमागी बुखार से पीड़ित था। मैं उसे निजी अस्पताल लेकर गया जहां डॉक्टरों ने कहा कि वह एईएस से पीड़ित हो सकता है। मैंने उसे एमवाई अस्पताल में भर्ती कराया जहां रविवार को उसकी मौत हो गई।
लेकिन एमवाई अस्पताल के डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि बच्चा एईएस से पाड़ित था या नहीं। वह उसकी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चा वायरल बुखार से पीड़ित था लेकिन कुपोषित नहीं था जो एईएस का मुख्य कारण है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि बच्चे के खून के नूमनों को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी भेजा गया है ताकि पता चल सके कि वह एईएस से पीड़ित था या नहीं। बच्चे के गांव में स्वास्थ्य विभाग की एक टीम भेजी गई है।

 

 

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