
रिपोट – भुपेन्द्र बरमण्डलिया
झाबुआ। अपने देश में बहुत कुछ बदल गया है। लेकिन सरकारी योजनाओं और संसाधनों की लूट के तरीके में कोई तब्दीली नहीं आई है। ताजा मामला आदिवासी अंचल झाबुआ जिले के मेघनगर विकासखंड के ग्राम करवापाड़ा में चल रहे मनरेगा के कार्यो में भ्रष्टाचार का।
आर.ई.एस.विभाग द्वारा मनरेगा स्कीम के तहत 50 लाख रुपए की लागत से तालाब का निर्माण करना था।मनरेगा योजना में मजदूरों को 100 दिन का रोजगार देना था। लेकिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून के तहत गरीबी दूर करने के लिए शुरू की गई योजना को भ्रष्टाचार के खुले खेल का मैदान बना दिया गया। तरीका वही.. फर्जी जॉब कार्ड बनवाए गए।
कागजों पर काम दिखाया गया। नतीजा भी वही। जो पैसा गरीबों के पेट भरने के लिए आवंटित किया गया, वह भ्रष्टाचारियों की तिजोरी में पहुंच गया। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में हुई भारी बारिश अतिवृष्टि से सारी फसलें बर्बाद हो गई।फसल बर्बादी के बाद हमने मनरेगा में काम किया लेकिन आज तक पैसा नहीं मिला। विधायक वीर सिंह भूरिया ने मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार की बात सामने आते ही विस्तृत जांच कराने के साथ अनियमितता पूर्ण कार्य करने वालों ठेकेदार व अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात कही।
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मनरेगा योजना 100 दिन के काम मे उच्च अधिकारियों को यदि जांच दी जाए तो करोड़ों रुपए की हेराफेरी व बड़े भ्रष्टाचार सामने आ सकते है अब देखना होगा कि कमलनाथ सरकार इन भ्रष्टाचारियों पर किस तरह से लगाम लगती है।