
पीएम नरेंद्र मोदी ने कच्चातिवु मामले में नई जानकारियों को लेकर कांग्रेस और डीएमके पर हमला बोला और कहा कि कच्चातिवु पर दोनों पार्टियों की उदासीनता ने “हमारे गरीब मछुआरों और मछुआरे महिलाओं के हितों को नुकसान पहुंचाया है।”

लोकसभा चुनाव से पहले कच्चातिवू द्वीप के मामले को तूल पकड़ता देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (1 अप्रैल) को एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सामने आ रहे नए विवरणों ने द्रमुक के “दोहरे मानकों” को “पर्दाफाश” कर दिया है। उन्होंने द्रमुक की सहयोगी कांग्रेस को भी “पारिवारिक इकाई” बताया और कहा कि कच्चातिवू पर उनकी उदासीनता ने “हमारे गरीब मछुआरों और मछुआरे महिलाओं के हितों को नुकसान पहुंचाया। पीएम मोदी ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा ”बयानबाजी के अलावा, डीएमके ने तमिलनाडु के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया है। कच्चातिवू पर सामने आए नए विवरणों ने डीएमके के दोहरे मानदंडों को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। कांग्रेस और द्रमुक पारिवारिक इकाइयां हैं। उन्हें केवल इस बात की परवाह है कि उनके अपने बेटे-बेटियाँ आगे बढ़ें। उन्हें किसी और की परवाह नहीं है। कच्चातिवु पर उनकी उदासीनता ने विशेष रूप से हमारे गरीब मछुआरों और मछुआरे महिलाओं के हितों को नुकसान पहुंचाया है।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा ये
विदेश मंत्री ने सोमवार को इस मुद्दे पर राष्ट्रीय राजधानी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जो “अचानक सामने आया” है और यह एक “जीवित मुद्दा” रहा है जिस पर संसद और सलाहकार समिति में चर्चा हुई है। उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि यह किसने किया, हम नहीं जानते कि इसे किसने छुपाया… हमारा मानना है कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई।” जयशंकर ने कुछ आंकड़े गिनाते हुए कहा कि पिछले 20 वर्षों में श्रीलंका ने अब तक 6000 से अधिक भारतीय मछुआरों को हिरासत में लिया है।
कोंग्रस ने किया पलटवार
कच्चातिवू मुद्दे पर पीएम मोदी के ट्वीट और विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस का जवाब देते हुए कांग्रेस नेता मनिकम टैगोर ने कहा, “बीजेपी, आरएसएस और पीएम मोदी के साथ समस्या यह है कि लोग उन्हें तमिलनाडु में खारिज कर रहे हैं और वे ध्यान भटकाने वाली रणनीति चाहते हैं। इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने उस समय 6 लाख तमिलों को बचाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसे इंदिरा गांधी-सिरीमावो भंडारनायके समझौता कहा जाता था और उन्हें बचाने के लिए यह द्वीप श्रीलंकाई सरकार को दे दिया गया था।
हम इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि अगर हमारे मछुआरों पर हमला किया जाता है , हम कच्चाथीवु द्वीप को वापस लेने के लिए अपनी आवाज उठाएंगे। लेकिन,10 वर्षों में, पीएम मोदी ऐसा करने में विफल रहे हैं। इन घटिया रणनीति से उन्हें तमिलनाडु में एक भी सीट नहीं मिलेगी।