एटा में ईशन नदी को पुर्नजीवित करने के लिए शुरू हुई अनूठी पहल, बड़ी संख्या में लोगों ने किया श्रमदान
Report:- R.B.Dwivedi/ Etah
जल संचयन दिवस के मौके पर एटा में विलुप्त हो चुकी ईशन नदी को पुर्नजीवित करने के लिए अनूठी पहल की गयी। ईशन नदी को पुर्नजीवित करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ साथ बड़ी संख्या में लोगों ने श्रमदान किया।
गौरतलब है कि जनपद में चार नदियां आज पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आहवान पर प्राचीन नदियों को पुनरोद्धार करने का काम किया जा रहा है। निधौली ब्लाक के अरथरा पुल के समीप ईशन नदी आज पूरी तरह से सूख चुकी है और जगह जगह इस पर स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है।
बताया जा रहा है कि इसके पुनरोद्धार के साथ सबसे पहले इसकी सफाई की जाएगी और इसके किनारों पर वृहद वृक्षारोपण करने के साथ ही इसमें जल छोड़ा जाएगा। गौरतलब है कि 317 किमी लम्बी प्राचीन ईशन नदी हाथरस जनपद के सिकन्दरारऊ में नगला सुजान से इस नदी का उदगम माना जाता है.
एटा, मैनपुरी, कन्नौज होते हुए बिल्हौर में ये गंगा नदी में मिल जाती है। जल संयचन दिवस के अवसर पर जल ही जीवन है की प्रसांगिकता के तहत प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के द्धारा प्राचीन ईशन नदी को पुर्नजीवित करने की अनूठी पहले में बड़ी संख्या में लोगों ने श्रमदान किया।
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आपको बता दे एटा जनपद का जलेसर क्षेत्र खारे पानी की समस्या से जूझ रहा है और खारे पानी के चलते किसान बेहाल है।
माना जा रहा है कि विलुप्त हो चुकी ईशन नदी को पुर्नजीवित होने के बाद से जलेसर और आस पास के क्षेत्र में खारे पानी की समस्या से लोगों को निजात मिल जाएगी और किसानों को भी नदीं का पानी मिलने से उन्हें सिचाई की समस्या से भी निजात मिलेगी।