
नई दिल्ली। भारत ने चंद्रमा के उस हिस्से पर यान भेजा था जहां दुनिया के किसी भी स्पेस रिसर्च संस्थाओं ने सोचा भी नहीं होगा। और आज यानि (2 सितंबर) को इसरो के वैज्ञानिकों को उस समय बड़ी सफलता मिली जब चंद्रयान-2 से विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक अलग हो गया है। इसरो इस बात की खुशी एक ट्वीट कर बतायी है।
चंद्रयान-2 से विक्रम लैंडर के अलग होने के बाद अब अगले 20 घंटे तक विक्रम लैंडर अपने ऑर्बिटर के पीछे-पीछे 2 किमी प्रति सेकंड की गति से चांद का चक्कर लगाता रहेगा। अभी विक्रम लैंडर 119 किमी की एपोजी और 127 किमी की पेरीजी में चक्कर लगा रहा है।
आपको बता दें कि चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है – पहला- ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा।
गौरतलब है कि 3 सितंबर को सुबह 8.45 से 9.45 बजे के बीच विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का पीछा छोड़ नई कक्षा में जाएगा। तब यह 109 किमी की एपोजी और 120 किमी की पेरीजी में चांद का चक्कर लगाएगा।
4 सितंबर को इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर को चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचाएंगे। इस कक्षा की एपोजी 36 किमी और पेरीजी 110 किमी होगी। अगले तीन दिनों तक विक्रम लैंडर इसी अंडाकार कक्षा में चांद का चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सेहत की जांच करते रहेंगे।
4 सितंबर को दूसरी बार चांद की कक्षा बदलने यानी चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचने के बाद 6 सितंबर तक विक्रम लैंडर के सभी सेंसर्स और पेलोड्स के सेहत की जांच होगी। प्रज्ञान रोवर के सेहत की भी जांच की जाएगी।
इसके अलावा इसरो के लिए 7 सितंबर का दिन भी काफी अहम होगा। क्योंकि सात सितंबर को ही 1:30 बजे रात (6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात) – विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा। यह इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।
1:55 बजे रात – विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा। लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा। ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे।
3.55 बजे रात – लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा।
5.05 बजे सुबह – प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल खुलेगा। इसी सोलर पैनल के जरिए वह ऊर्जा हासिल करेगा।5.10 बजे सुबह – प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा। वह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा। इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा।