बढ़ीं जुकरबर्ग की मुश्किलें! ‘एनालिटिका’ पर ब्रिटिश एनफोर्समेंट का छापा

लंदन। फेसबुक डाटा लीक मामले में एक्टिव हुए ब्रिटिश एनफोर्समेंट आधिकारियों ने कैंब्रिज एनालिटिका के ऑफिस पर छापा मारा। इस बात का खुलासा ब्रिटिश मीडिया के माध्यम से किया गया। अधिकारियों ने इसे एक बड़ी जांच की शुरुआत बताते हुए कहा कि अभी यह कदम केवल जांच की दिशा में उठाया गया है। मामले की तह तक जाने के बाद ही कोई एक्शन लिया जाएगा।

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कैंब्रिज एनालिटिका

ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक, यूके इंफॉर्मेशन कमिश्नर एलिजाबेथ डेनहैम ने 7 मार्च को कैंब्रिज एनालिटिका के रिकॉर्ड्स और डाटा की एक्सेस मांगी थी। कंपनी ने जवाब नहीं दिया तो कोर्ट से वारंट मांगा गया। बुधवार को स्थानीय जज ने वारंट जारी कर दिया।

इसके बाद यह बड़ा कदम उठाया गया। इंफॉर्मेशन कमिश्नर ऑफिस ने कहा है कि यह एक बड़ी जांच की सिर्फ शुरुआत है। ब्रिटिश मीडिया ने इस कार्रवाई की पुष्टि की है।

इंफॉर्मेशन कमिश्नर ऑफिस का कहना है कि पिछले साल मई से मामले की जांच चल रही है।

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उन्होंने साफ़ किया कि अभी उनका काम कैंब्रिज एनालिटिका के खिलाफ डाटा चोरी मामले से जुड़े सबूत जुटाना है। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।

बता दें इससे पहले फेसबुक के ऑडिटर्स ने भी कैंब्रिज एनालिटिका के लंदन ऑफिस में सर्च की थी, लेकिन इंफॉर्मेशन कमिश्नर की आपत्ति के बाद टीम लौट गई थी।

कैंब्रिज एनालिटिका पर 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स का पर्सनल डाटा चोरी करने और उसका 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थन में इस्तेमाल करने का आरोप है। हालांकि, कंपनी ने आरोपों से इनकार किया है।

इस मामले ने मार्क जुकरबर्ग की टेंशन भी बढ़ा दी है। पहला कारण यह कि इस मामले के तूल पकड़ने से जहां उनकी संपत्ति में भारी नुकसान हुआ। वहीं उनकी बनी हुई सालों की छवि भी धूमिल हो रही है।

हालांकि जुकरबर्ग पहले ही इसके लिए मांफी मांग चुके हैं। साथ ही उन्होंने डाटा लीक मामले में अपनी कमी को भी स्वीकार किया। लेकिन सुरक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार का दिलासा देने के बावजूद जो विश्वास फेसबुक ने अपने यूजर्स के दिलों में जमाया था, अब कहीं न कहीं बिखरता दिखाई दे रहा है।

टूटे हुए भरोसे को जोड़ना उनके लिए काफी मशक्कत वाला काम होने वाला है। पर बड़ी बात ये है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। वाकई में इसके बारे में जुकरबर्ग को भनक तक नहीं लगी, जिन्होंने इतनी कम उम्र में दुनिया को इतना बड़ा सोशल प्लेटफ़ॉर्म सौगात में दिया।

इस मामले में शक की सुई उनकी ओर भी इशारा करती है। कारण है मामले का खुलासा होने के एक हफ्ते के भीतर ही उन्होंने अपनी गलती को सार्वजनिक तौर पर बिना किसी गुरेज के स्वीकार किया।

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