छींक रोकने से जा सकती है आपकी आवाज और फट सकते हैं कान के पर्दे

छींक रोकनालखनऊ। जबरदस्ती छींक रोकना आप के लिए घातक हो सकता है। नाक और मुंह बंद करके छींक रोकने पर में झनझनाहट पैदा हो सकती है। गला सूज सकता है। इसके चलते आप अपनी आवाज भी खो सकते हैं। हाल में ब्रिटेन के लीसेस्टर विश्वविद्यालय अस्पताल में ऐसा ही मामला सामने आया है। छींक स्वास्थ्य के लिए सेहतमंद है। यह एक प्राकृतिक क्रिया है। इसके रोकने पर शरीर के दूसरे अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

जबरदस्ती छींक रोकने पर जा सकती है आपकी आवाज

पेपरमिंट ऑयल

पेपरमिंट ऑयल एंटी-बैक्टीरियल होता है। पानी को उबालकर उसमें पेपरमिंट तेल की 5 बूंदें डालें। एक तौलिये से सिर को ढककर इस पानी की भाप लें, छींक से राहत मिलेगी।

सौंफ की चाय

इसमें एंटीबायोटिक व एंटीवायरल गुण होते हैं। एक कप पानी में दो चम्मच सौंफ को कुचलकर उबालें। दस मिनट पानी को ढककर रख दें। उसके बाद छानकर दिन में दो बार पीएं।

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अदरक

एक कप पानी में थोड़ी सी अदरक डालकर उबालें। इसे गुनगुना रहने पर शहद मिलकार पीएं। इसके अलावा कच्ची अदरक या अदरक की चाय पी सकते हैं।

काली मिर्च

गुनगुने पानी में आधा चम्मच काली मिर्च डालकर यह मिश्रण दिन में दो से तीन बार पीएं। काली मिर्च का पाउडर डालकर गरारा भी किया जा सकता है। इससे आप बैक्टीरिया से छुटकारा मिल सकता है।

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कान को होता है ज्यादा नुकसान

छींक के आने में नाक, कान, आंख, मस्तिष्क, फेफड़े, पेट, डायफ्राम सक्रिय हो जाते हैं। छींक के कारण नाक से 160 किमी./घंटा की गति से हवा निकलती है। अगर छींक रोकते हैं तो सारा दबाब इन अंगों पर पड़ता है। इससे सबसे अधिक नुकसान कान को होता है। कान के पर्दे फटने की आशंका रहती है। सुनने देना बदं हो सकता है। छींक रोकने से दिमाग को नुकसान हो सकता है। आंखों की रक्त वाहिकाएं प्रभावित हो जाती हैं। गर्दन में भी मोच आ सकती है। दिल का दौरा आने की भी आशंका रहती है।

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