आपका ज्यादा सोशल होना कर सकता है आपके दिमाग की बत्ती गुल

आजकल बढ़ते लाइफस्टाइल के कारण हर कोई किसी ना किसी परेशानी से जूझ ही रहा है। आजकल बड़ों से लेकर बच्चें भी इतनी टेंशन में रहते हैं कि क्या बात करें। इसी बेकार की टेंशन के कारण बच्चों को तरह-तरह की दिमाग की परेशानी झेलनी पड़ रही है। किसी को याददाश्त की परेशानी है तो किसी को किसी और चीज की। आज हम आपको ऐसी ही दिमाग से जुड़ी एक समस्या के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही आपने कभी सुना हो।

सोशल फोबिया

हम बात कर रहे हैं सोशल फोबिया की। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में समय पर पता भी नहीं लग पाता है। लेकिन जब यह बीमारी बढ़ती जाती है तो तब बहुत ही देर हो चुकी होती है। इस बीमारी के चलते आत्म-सम्मान में भी काफी कमी आ जाती है। इस स्थिति में आपके अंदर तनाव होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

क्या है सोशल फोबिया

यह एक ऐसा दिमाग का डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति अपनी बात को दूसरों के सामने रखने में थोड़ा असहज महसूस करता है। यह अमूमन दो प्रकार का होता है। पहला तो वह स्थिति होती है जिसमें कोई पीड़ित व्यक्ति किसी के सामने या स्टेज पर नहीं बोल पाने में डर लगता है। साथ दूसरी तरह के इंसान को किसी से भी बात करने में तकलीफ होती है या यूं कहूं कि उसे सामने वाले से बात करने में डर का सामने करना पड़ता है।

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बीमारी के संकेत

आत्म सम्मान में कमी आना

अगर आपको लोगों से बात करने में परेशानी होती है और आपको लगता है कि आप उससे बात करने में असहज है तो यह बात आपके लिए ठीक हो ही नहीं सकती है। अगर अक्सर ऐसा होता है तो यह आपके लिए खतरनाक संकेत की तरफ इशारा करता है।

लोगों से बचने की कोशिश करते हैं

अगर आप अपना मुंह लोगों से छुपाते फिरते हों तो आपके लिए यह बहुत ही परेशानी की बात है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें इंसान को समझ ही नहीं आता कि वह कर क्या रहा है।

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पसीना आना

जिस किसी को भी सोशल फोबिया होता है उसे हर समय पसीना आता है। जब भी वह चार लोगों के बीच में होते हैं तो उनको सबके सामने पसीने आने की शिकायत झेलनी ही पड़ती है।

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