World Polio Day 2020: विश्व पोलियो दिवस के अवसर पर जानें क्या था पोलियो का इतिहास

24 अक्टूबर 2020 को पोलियो दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का कारण लोगों को पोलियो के प्रति जागरुक करना है। यह रोग बड़ा घातक होता है जिसमें शरीर पर प्रतिकूल असर दिखाई पड़ता है। इस रोग के कारण व्यक्ति का शरीर सकवा ग्रस्त हो जाता है जिसमें उसके शरीर के अंग प्रभावित हो जाते है। इस बिमारी से अभी भी कई देश लड़ रहे हैं। बतादें कि इस रोग की चपेट में बच्चे ज्यादा आते हैं। पोलियो को हम ‘पोलियोमायलाइटिस’ भी कहते हैं। हमारा देश अब पोलियो से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है।

विश्व पोलियो दिवस का इतिहास:

इस दिवस को मनाने की वजह लोगों को जागरुक करने की थी जिसकी शुरुआत रोटरी इंटरनेशनल के द्वारा की गई थी। पोलियो की वैक्सीन 1955 में बनाई गई थी और इसकी खोज जोनास साल्क ने की थी। बतादें की जोनस भी रोटरी इंटरनेशनल के सक्रीय सदस्य थे। इनके योगदान को देखते हुए सभी ने इनके जन्म दिन को विश्व पोलियो दिवस के तौर पर मनाने लगे।
पोलियो से काफी ज्यादा संख्या में लोग प्रभावित हुए पर इसका जबसे ज्यादा कहर 1980 में देखने को मिला था। 1980 में पोलियो से काफी अधिक संख्या में लोग ग्रसित हुए थे। इसके कहर के रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) ने सक्रिय रह कर इसके टीके की शुरुआत की थी।

पोलियो से बच्चों को बचाने के लिए उन्हें टीका व दवा दी जा गई थी। फिर उसके बाद बड़ो को इसका टीका लगाया गया था। यदि बात करें भारत में पोलियो के टीके की शुरुआत की तो यहां यह 1995 में आया था जिसके चलते भारत आज पोलियो जैसे घातक रोग से मुक्त हो चुका है। पोलियो से भारत को मुक्त करने के लिए भारत सरकार द्वारा कई मिशन चलाए गए। इस मिशन के अंतर्गत चिकित्सक टीम लोगों के घर जाकर उनके बच्चों को 2 बूंद दवा पिलाते थे और बच्चे के जन्म होते ही निर्धारित समय पर बच्चे के टीका लगाया जाता था।

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