World Hepatitis Day 2019: हेपेटाईटिस में ध्यान रखें इन बातों का, ये हो सकती है वजह
लिवर हमारे शरीर का बहुत जरुरी अंग होता है. इसका काम होता है खून में से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालना. आपको बता दें, लिवर हेपेटाईटिस एक तरह का लिवर का संक्रमण है जिसमें लिवर खराब हो जाता है और उससे जुड़े सभी कार्यों में परेशानी आने लगती है. इसलिए ये जानलेवा भी होता है.
जिस तरह की जीवनशैली हम जी रहे हैं उसको देखकर लगता है आपको ये जानकारी होना जरुरी है. हालांकि इस रोग की जटिलताओं के अनुसार मरीज में बहुत से अनुभव देखने को मिलते हैं लेकिन आम तौर पर निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर इसको अलग किया जा सकता है। आइए डॉ मोनिका जैन, वरिष्ठ सलाहकार, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलोजी से जानते हैं लीवर हेपेटाइटिस के बारे में…
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हेपेटाईटिस ए में बुखार, बदन दर्द, उलटी का आना, पेट में दर्द होने की शिकायत रहती है. यह समस्या बच्चों में अधिक देखने को मिलती है, इसे हेपेटाईटिस ए को वैक्सीन से रोका जा सकता है. इसे हेपेटाईटिस बी और सी- हेपेटाईटिस में सबसे खतरनाक माना जाता है. क्योंकि यह सबसे शांत संक्रमण है जिसका शुरुआती लक्षणों में पता नहीं लगता। जब तक मरीज को पीलिया की शिकायत नहीं होती, इस बीमारी को समझ पाना कठिन हो जाता है। इनकी पहचान रूटीन हेल्थ चेकअप के दौरान की जा सकती है.
कुछ समय बाद यह समस्या सिरोसिस में तब्दील हो सकती है और उस स्थिति में पेशेंट के पैरों में सूजन, पेट में पानी आ जाने, बेहोशी की अवस्था में होना जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं. सही उपचार ना मिलने की वजह से इस स्थिति में आगे चलकर लिवर कैंसर के होने का खतरा भी बन सकता है । भूख का ना लगना, वजन का गिर जाना, पेट में पानी बनने की प्रक्रिया का ज्यादा हो जाना जैसे कुछ लक्षण उस अवस्था में दिख सकते हैं.
मरीज के अल्फा फिटोप्रोटीन नामक टेस्ट से ये पता लगा सकते है कि कही लिवर में कैंसर का पनपना तो नहीं शुरू हुआ है। हेपेटाईटिस ई को जलजनित रोग भी कहते हैं। इसके लक्षण काफी हद तक हेपेटाइटिस ए से मेल खाते है । दो तीन दिन बुखार का रहना, उलटी होना, जी मचलना, पेट में दर्द आदि इसके लक्षण हैं। हेपेटाईटिस ई की समस्या बड़े लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है.
हेपेटाईटिस संक्रमण के कारण –
1- हेपेटाईटिस ए और ई के संक्रमण बाहरी कारणों से होते हैं जिसमें दूषित या अधपका खाना पीना या संक्रमित व्यक्ति का जूठा खाना खाना शामिल है.
2- हेपेटाईटिस बी और सी के संक्रमण रक्त द्वारा संचारित होता है। ऐसे में किसी हेपेटाईटिस बी और सी से संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित संबंध बनाने, संक्रमित ब्लेड, सीरेंज के इस्तेमाल से होता है। यह गर्भवती मां से बच्चे में भी फैलता है.
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निम्न बातों का रखें ख्याल –
1- आजकल टैटू और पियर्सिंग का बहुत चलन है. लेकिन अकसर एक ही नीडल से कई व्यक्तियों को टैटू बना दिया जाता है, जो संक्रमण का कारण बन सकता है साथ ही यही बात पियर्सिंग में प्रयोग की जाने वाली नीडल पर भी लागू होती है। ऐसे में ट्रेड के चक्कर में एहतियात न भूलें.
2- अक्सर हम पार्लर या सैलून में उपयोग किये गए ब्लेड की अनदेखी करते हैं, क्योंकि ये खून से संक्रमित हो सकते हैं इसलिए अगली बार अपने पार्लर में ब्लेड आदि फ्रेश इस्तेमाल करने को कहें.
3- ब्लड चढ़वाने के लिए सुरक्षित ब्लड केवल ऑथराइजड ब्लड बैंक से ही लाये. थेलेसेमिया या डायलिसिस वाले मरीजों को ब्लड चढ़ाने के वक्त सावधानी बरतें .
4- गर्भवती महिलाओं को भी जांच अवश्य करवानी चाहिए कि कही ये वायरस उसके गर्भ में पले शिशु को तो नहीं प्रभावित कर रहा. इस अवस्था में मां को तीसरी तिमाही में दवा दे कर शिशु का बचाव किया जा सकता है और जन्म के समय शिशु को हेपेटाइटिस का टीकाकरण भी किया जाता है .