
दौर बदला, समय बदला और इसके साथ ही रिश्तों के मायने भी बदल गए। कहते हैं इंसान की मुख्य जरूरत रोटी, कपड़ा और मकान ही हैं। ध्यान दें तो महंगाई इतनी भी ज्यादा नहीं कि इंसान अपने लिए दो जून की रोटी, सिर पर छत और तन ढ़कने को कपड़े का इंतजाम न कर पाए। लेकिन ज्यादा पैसा कमाने की होड़ और लक्जीरियस लाइफ को जीने की चाह में वो इतना गुम हो गया है कि उसे रिश्तों के मायने भी बेमाने से लगने लगते हैं। इसका सीधा असर इंसान की शादीशुदा जिंदगी पर पड़ता है।
…तिलमिला गया युवक जब बैठते ही नाजुक अंग में लग गई गोली
यानी शादी शुदा जिंदगी के बीच में काम आ जाता है। ऐसे में न तो दुःख-दर्द बांटने का एक दूसरे के पास समय होता है। न ही वह देना चाहते हैं।
आपने अक्सर महिलाओं को कहते सुना होगा, ‘मेरी सौतन, मेरे आदमी की नौकरी बन गई है’। यदि आपको भी ऐसा लगने लगा है तो सावधान हो जाइए… अपने पति पर निगाह रखिए… कहीं आपका मजाक में कहा जाने वाला यह वाक्य कहीं असल हकीकत बन ‘वर्क वाइफ’ के रूप में आपके पति की जिंदगी में दाखिल तो नहीं हो गया। यकीनन ऐसा हो सकता है।
यह केवल युवकों पर ही लागू नहीं होता… जिनकी पत्नियां भी घर के खर्च में हाथ बटाने के लिए बाहर जाती हैं, उन्हें भी यदि ऐसा लगता है कि वो आपसे ज्यादा अपनी नौकरी पर तवज्जो दे रहीं हैं तो समझिए आपके लिए भी यह खतरे की घंटी है।
Totaljobs.com के द्वारा किए गए एक सर्वे में यह बात साफ़ की गई है कि अधिकतर युवक या युवतियां अपने काम की जगह, यानी ऑफिस में रहने वाली या वाले साथियों की ओर ज्यादा झुकाव रखते हैं।
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नौकरी पेशा युवक जहां ऑफिस में किसी खूबसूरत लड़की का साथ चाहते हैं तो वहीं महिलाएं भी कुछ ऐसी ही ख्वाहिश खुद में दबाए रखती हैं।
किए गए सर्वे में जो बात सामने निकल कर आई उसे जानकार आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि इसके पीछे आखिर वजह क्या है।
इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि हम जिस भी परिवेश में ज्यादा समय बिताते हैं, उस जगह रहने वाले लोगों के बीच लगाव ज्यादा बढ़ जाता है। अब अगर बात विपरीत लिंग के साथी की हो तो सोने पर सुहागा।
यानी भावनात्मक ढंग से लोग उस साथी (जो ऑफिस में काम करती है या करता है) को अपने पति या पत्नी के ज्यादा अहमियत देने लगते हैं। यहीं से शुरू होता है पारिवारिक विवाद।
पति या पत्नी की भावनाओं को न समझना। उसके जीवन में आ रही परेशानियों से कन्नी काट लेना। बिना ये सोंचे कि उस पर किए जाने वाले बर्ताव का क्या प्रभाव पड़ेगा।
नतीजन हस्ता-खेलता मेहनत से बनाया गया घरौदा देखते-देखते बर्बाद होने की कगार पर पहुंच जाता है… कहीं-कहीं हो भी जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिती में काम करने वाले शख्स का मस्तिष्क उसके साथी को महज उपभोग की वास्तु समझने लगता है, जिसे उपयोग के बदले वह किसी गिफ्ट के तौर पर उसकी जरूरत और लक्जीरियस लाइफ से तौल देता है।
इसलिए जरूरी यह है कि आपको भी अपने पति या पत्नी में आते बदलावों पर नजर रखनी चाहिए और रिश्तों में बन रही दूरियों को मिटाने की कोशिश करनी चाहिए। इस मामले में यह बिलकुल भी जरूरी नहीं की आपके साथी का किसी के साथ अफेयर ही हो, तब आपको लगे कि कुछ गलत हो रहा है।
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