गुजरात : आरएसएस कार्यकर्त्ता से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का ‘विजय’ सफरनामा
अहमदाबाद। विजय रूपाणी एक बार फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री चुने गए हैं। वैसे तो सीएम पद के लिए कई लोगों का नाम सामने आ रहा था। लेकिन आखिर में मोदी सरकार ने रुपानी पर ही भरोसा जताया है।
आइये एक नज़र डालते हैं विजय रूपाणी के राजनीतिक सफर पर…
विजय रूपाणी ने छात्र जीवन में ही राजनीति की शुरुआत की। वे ABVP के कार्यकर्ता रहे। इसके बाद वे RSS से जुड़े। 1978-1981 तक वे RSS के प्रचारक रहे। बताया जाता है कि इमरजेंसी के दौरान वे 11 महीने जेल में भी रहे थे।
नगर निगम चुनाव जीतकर राजनीति में हुई एंट्री
रुपानी 1987 में वे राजकोट नगर निगम के चुनाव में जीते। इसके बाद 1998 में उन्हेंा प्रदेश में पार्टी का महासचिव बनाया गया था। चार बार वे महासचिव बने। 2006 से 2012 तक वे राज्यसभा के सदस्या रहे।
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2013 में उन्हें गुजरात म्यूनिसिपल फाइनेंस बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
नवंबर 2014 में आनंदीबेन पटेल की सरकार में भी वह मंत्री बनाए गए। उनके पास वाटर सप्लाकई, ट्रांसपोर्ट, लेबर एंड एंप्लाएमेंट विभाग था। इसके बाद उनके काम से प्रभावित होकर उनका कद बढ़ाते हुए उन्हें 19 फरवरी 2016 में प्रदेश भाजपा अध्य क्ष बनाया गया था।
बता दें 7 अगस्तल 2016 को रूपाणी को प्रदेश का मुख्य मंत्री बनाया गया था।
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मुख्यमंत्री के चयन से पहले तक कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी गुजरात में भी यूपी का फॉर्मूला लागू करने पर विचार कर रही है। अंतः रुपानी को उनके साफ़ छवि का फायदा मिला और उन्हें एकबार फिर सूबे का सीएम नियुक्त किया गया है।
बता दें पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और सरोज पांडे को गुजरात भेजा गया था।
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