
बालासोर के फकीर मोहन स्वायत्तशासी महाविद्यालय की 20 वर्षीय बीएड द्वितीय वर्ष की छात्रा, जिसने यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद कार्रवाई न होने पर 12 जुलाई को आत्मदाह कर लिया था, ने सोमवार देर रात एम्स भुवनेश्वर में दम तोड़ दिया। 95% जलने के कारण उसकी हालत गंभीर थी, और चिकित्सकों के अथक प्रयासों के बावजूद उसे बचाया न जा सका। इस घटना ने ओडिशा में व्यापक आक्रोश और सियासी तूफान खड़ा कर दिया है।

राहुल गांधी का BJP पर हमला
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस त्रासदी को “BJP के सिस्टम द्वारा संगठित हत्या” करार दिया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “ओडिशा में इंसाफ़ के लिए लड़ती एक बेटी की मौत, सीधे-सीधे BJP के सिस्टम द्वारा की गई हत्या है। उस बहादुर छात्रा ने यौन शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई – लेकिन न्याय देने के बजाय, उसे धमकाया गया, प्रताड़ित किया गया, बार-बार अपमानित किया गया। जिन्हें उसकी रक्षा करनी थी, वही उसे तोड़ते रहे।” गांधी ने आगे कहा, “हर बार की तरह BJP का सिस्टम आरोपियों को बचाता रहा और एक मासूम बेटी को खुद को आग लगाने पर मजबूर कर दिया। ओडिशा हो या मणिपुर, देश की बेटियां जल रही हैं, टूट रही हैं, दम तोड़ रही हैं। और आप खामोश बैठे हैं?” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाबदेही की मांग की।
राज्यपाल की संवेदना और जवाबदेही की मांग
ओडिशा के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति ने छात्रा की मौत पर गहरा दुख जताया और शैक्षिक संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “फकीर मोहन स्वायत्त महाविद्यालय की एक छात्रा की असामयिक मृत्यु की खबर सुनकर स्तब्ध हूं। यह सिर्फ एक त्रासदी नहीं, बल्कि हमारे परिसरों में सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता की चेतावनी है। कानून अपना सबसे कठोर कदम उठाएगा। जिम्मेदार लोगों को कठोरतम सजा मिलेगी। मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिवार के साथ हैं।” उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यबंशी सूरज और एम्स भुवनेश्वर के निदेशक से बात कर घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
मुख्यमंत्री का मुआवजा और कार्रवाई का वादा
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पीड़िता के परिवार को 20 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “फकीर मोहन स्वायत्त महाविद्यालय की छात्रा के निधन की खबर से मैं अत्यंत दुखी हूं। सरकार के सभी प्रयासों और विशेषज्ञ चिकित्सा दल की अथक कोशिशों के बावजूद पीड़िता का जीवन नहीं बचाया जा सका। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं और उनके परिवार को यह अपूरणीय क्षति सहने की शक्ति देने के लिए भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं।” माझी ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दोषियों को कानून के अनुसार कड़ी सजा दी जाए।
घटना
छात्रा ने 12 जुलाई को कॉलेज परिसर में प्राचार्य के कक्ष के बाहर पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा ली थी। उसने शिक्षा विभाग के प्रमुख (एचओडी) समीरा कुमार साहू पर यौन और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उसका कहना था कि पिछले छह महीनों से प्रोफेसर उसे यौन उत्पीड़न कर रहे थे और उसकी अकादमिक प्रगति को बाधित करने की धमकी दे रहे थे। उसने 1 जुलाई को आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) में शिकायत दर्ज की थी, लेकिन समिति ने प्रोफेसर को क्लीन चिट दे दी थी। प्राचार्य दिलीप घोष ने कथित तौर पर छात्रा को शिकायत वापस लेने के लिए दबाव डाला और निलंबन की धमकी दी।
कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई
घटना के बाद बालासोर पुलिस ने समीरा कुमार साहू को 12 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया। प्राचार्य दिलीप घोष को भी 14 जुलाई को गिरफ्तार किया गया और उन्हें 14 दिन की न्याय hairst में भेज दिया गया। दोनों को ओडिशा सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने निलंबित कर दिया है। सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 24 घंटे के भीतर यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम, 2013 के तहत आंतरिक समितियों का गठन करने और समिति के सदस्यों के नाम और संपर्क विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है। उच्च शिक्षा विभाग ने मामले की गहन जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति भी गठित की है, जिसके प्रमुख निदेशक काली प्रसन्न मोहपात्रा हैं।
विपक्ष का हंगामा और विरोध प्रदर्शन
घटना ने ओडिशा में व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया। बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए उच्च शिक्षा मंत्री सूरज सूर्यबंशी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग की। बीजद की विधायक स्नेहांगिनी छुरिया ने कहा, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा ओडिशा में बेटी पढ़ाओ, बेटी जलाओ बन गया है।” कांग्रेस नेता यासिर नवाज ने आरोप लगाया कि सरकार ने पीड़िता के शव को रात में चुपके से ले जाने की कोशिश की। बीजद और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बालासोर में जिला कलेक्टर के कार्यालय का घेराव किया और भुवनेश्वर में मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की।
राष्ट्रीय महिला आयोग का हस्तक्षेप
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने 13 जुलाई को मामले का स्वतः संज्ञान लिया और तीन दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट की मांग की। आयोग ने कॉलेज प्रशासन की निष्क्रियता और आईसीसी की विफलता पर सवाल उठाए।