उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति और पीएम का जताया आभार, बताई ये वजह

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत दिए गए अपने इस्तीफे में उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद और सांसदों का सहयोग और स्नेह के लिए आभार व्यक्त किया।

धनखड़ ने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति और विकास का साक्षी बनना उनके लिए गर्व की बात रही। उन्होंने अपने कार्यकाल को सम्मानजनक और ज्ञानवर्धक बताया, साथ ही भारत के उज्ज्वल भविष्य में पूर्ण विश्वास जताया।

धनखड़ ने लिखा, “राष्ट्रपति का सहयोग और शांतिपूर्ण कार्य संबंध मेरे लिए सुखद अनुभव रहा। प्रधानमंत्री से मैंने बहुत कुछ सीखा, और सांसदों का स्नेह व विश्वास मेरे लिए अमूल्य है।” उन्होंने भारत के वैश्विक उत्थान और उपलब्धियों पर गर्व जताते हुए कहा कि इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना उनके लिए सच्चा सम्मान रहा।

जगदीप धनखड़ (जन्म: 18 मई 1951, किठाना, झुंझुनू, राजस्थान) ने 6 अगस्त 2022 को 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी, जब उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 528 वोटों से हराया। इससे पहले, वे 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे और 1990-91 में चंद्रशेखर मंत्रालय में संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे। पेशे से वरिष्ठ वकील, धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट्स में प्रैक्टिस की और 1990 में राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट का दर्जा प्राप्त किया।

स्वास्थ्य संबंधी घटनाएं
25 जून 2025 को नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान धनखड़ की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। कार्यक्रम में पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल को गले लगाने के दौरान भावुक होने के बाद उन्हें सीने में दर्द हुआ, और चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें राजभवन ले जाया। यह घटना उनके इस्तीफे के स्वास्थ्य कारणों से जुड़ी हो सकती है, हालांकि उन्होंने इस्तीफे में विशिष्ट स्वास्थ्य समस्या का उल्लेख नहीं किया।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और विवाद
धनखड़ का कार्यकाल विवादों से मुक्त नहीं रहा। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उनके और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच तनाव रहा। 2024 में विपक्ष ने उनके खिलाफ राज्यसभा सभापति के रूप में अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही थी, जिसे कांग्रेस और डीएमके ने समर्थन दिया। इसके अलावा, अप्रैल 2025 में धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के अनुच्छेद 142 के इस्तेमाल को “लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ न्यूक्लियर मिसाइल” करार देकर विवाद खड़ा किया था।

LIVE TV